पंजाब विधानसभा के चुनाव अगले साल होन हैं. बीजेपी वहां मुश्किल में दिख रही है. पंजाब में शिरोमणि अकाली दल से उसका पिछले कई दशक से गठबंधन था. यह गठबंधन कृषि कानूनों के विरोध में टूट गया. अब वहां बीजेपी अकेली पड़ गई है. आइए जानते हैं कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृ्तव ने पंजाब चुनाव के लिए किन नेताओं को कौन सी जिम्मेदारी सौंप रखी है.
पंजाब में कौन नेता पार लगाएगा बीजेपी की नैया
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह के पास पंजाब के पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी है. वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम पंजाब बीजेपी के प्रभारी है. बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव डॉक्टर नरेंद्र सिंह रैना पंजाब बीजेपी के सहप्रभारी हैं. वहीं विधानसभा चुनाव के प्रबंधन की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के कंधों पर है. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, केंद्रीय मंत्री मनीक्षी लेखी और गुजरात से आने वाले विनोद भाई चावड़ा सह प्रभारी की भूमिका में हैं.
पिछले साल सितंबर में नरेंद्र मोदी सरकार तीन कृषि कानून लेकर आई थी. इन कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए शिरोमणि अकाली दल से बीजेपी से अपना समझौत तोड़ लिया था. दोनों दलों में पिछले कई दशक से समझौता था. बीजेपी पंजाब में अकाली दल की जूनियर पार्टी की भूमिका में थी. कृषि कानूनों को लेकर पंजाब में बीजेपी के खिलाफ बहुत आक्रोश है. स्थानीय निकाय चुनावों में कई जगह तो बीजेपी नेताओं को प्रचार तक नहीं करने दिया गया था. लेकिन कृषि कानूनों की वापसी के बाद यह नाराजगी कितनी कम हुई है, इसके लिए अभी थोड़ा इंतजार करना होगा.
पंजाब में बीजेपी की स्थिति
आज की तारीख में बीजेपी पंजाब में अकेले खड़ी है. हालांकि उसका कांग्रेस से बगावत कर अलग पार्टी बनाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुखदेव सिंह ढिंढसा की शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) से चुनावी गठबंधन के आसार हैं.
बीजेपी ने 2017 का चुनाव शिरोमणी अकाली दल के साथ 23 सीटों पर लड़ा था. उसे 3 सीटें और 5.39 फीसदी वोट हासिल हुए थे. वहीं इससे पहले 2012 का चुनाव भी बीजेपी ने 23 सीटों पर ही लड़ा था. उस चुनाव में उसे 12 सीटें और 7.18 फीसदी वोट मिले थे.