नोएडा से 3 कारोबारियों को अगवा कर पंजाब ले जाने का मामला सामने आया है. जिसमें चौंकाने वाली बात यह है कि इस गैंग में पंजाब पुलिस के दो सिपाही भी शामिल थे. आरोप है कि उन्होंने अपने 4 साथियों के साथ मिलकर कारोबारियों से 10 करोड़ रुपये की फिरौती मांगने की कोशिश की.
पुलिसकर्मी बन बैठे अपराधी
जानकारी के मुताबिक, यह घटना 15 और 16 सितंबर की रात की है. पंजाब पुलिस के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (एएसआई) कुलदीप सिंह और हेड कांस्टेबल बलविंदर सिंह अपने चार साथियों के साथ नोएडा पहुंचे.
वहां उन्होंने खुद को पंजाब पुलिस का वरिष्ठ अधिकारी बताकर एक छापा मारा और 3 कारोबारियों को बंदूक की नोक पर अगवा कर लिया.
अपहृत कारोबारियों को गाड़ी में बैठाकर सीधे लुधियाना के पास खन्ना ले जाया गया. आरोपियों ने पीड़ितों के परिवार वालों से उनकी रिहाई के बदले 10 करोड़ रुपये की भारी रकम की मांग की. हालांकि, बातचीत और सौदेबाजी में सहमति नहीं बन सकी.
पुलिसकर्मियों ने बनाए झूठे केस
जब रकम पर सहमति नहीं बनी, तो आरोपियों ने कारोबारियों को खन्ना के साइबर थाना ले जाकर आरोप लगाया कि ये लोग फर्जी कॉल सेंटर चलाकर लोगों को धोखा देते हैं. उन्होंने साइबर क्राइम सेल के इंचार्ज नरपिंदर पाल सिंह से कहा कि इन तीनों के खिलाफ FIR दर्ज की जाए.
पर्दाफाश के बाद सच्चाई आई सामने
इस पूरे खेल का पर्दाफाश होते ही असली सच बाहर आ गया. खुद पुलिसकर्मी ही अब आरोपी बन गए. खन्ना साइबर क्राइम थाने में एएसआई कुलदीप सिंह, हेड कांस्टेबल बलविंदर सिंह और उनके चार साथियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है.
पंजाब पुलिस की छवि हमेशा अपराध और नशे के खिलाफ सख़्त कार्रवाई करने वाली रही है. लेकिन इस तरह का मामला सामने आने से पुलिस की साख पर सवाल उठना लाज़िमी है. स्थानीय लोग मानते हैं कि ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई होना जरूरी है, ताकि वर्दी की आड़ में कोई अपराध करने की हिम्मत न जुटा सके.