Punjab News: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने पंजाब में खेतों में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के संबंध में ‘‘निरंतर, पर्याप्त उपाय’’ नहीं करने के लिए संबंधित अधिकारियों के रवैये को लेकर अप्रसन्नता जताई है. एनजीटी ने यह भी कहा कि पराली जलाने की घटनाओं को तुरंत रोकने के लिए पंजाब के मुख्य सचिव ने पत्र लिखा था, लेकिन यह भी कारगर नहीं रहा. एनजीटी एक मामले की सुनवाई कर रही थी जहां उसने पंजाब में पराली जलाए जाने के कारण वायु प्रदूषण में वृद्धि के संबंध में एक अखबार की खबर का स्वत: संज्ञान लिया था.


पंजाब में पराली जलाने के 33 हजार से ज्यादा मामले
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने कहा कि सोमवार सुबह 10 बजे एनजीटी ने पंजाब की उपग्रह तस्वीर पर गौर किया, जिसमें पूरा राज्य लाल रंग में दिख रहा था. पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल थे. पीठ ने कहा कि जब 20 अक्टूबर को मामले का स्वत: संज्ञान लिया गया था, तो पंजाब में केवल 656 खेतों में पराली जलाने की घटनाएं सामने आई थीं लेकिन वर्तमान में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रोटोकॉल के अनुसार पराली जलाने की कुल 33,719 घटनाएं सामने आईं.


प्रोटोकॉल के अनुसार पराली जलाने वालों पर कार्रवाई ना करने का आरोप
पीठ ने कहा, ‘‘हमने पाया है कि इसरो प्रोटोकॉल के अनुसार रिपोर्ट की गई पराली जलाने की घटनाओं के संबंध में भी पर्याप्त कार्रवाई नहीं की गई है. एनजीटी ने कहा कि 32 मामलों में वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्यवाही शुरू की गई, जबकि 829 प्राथमिकी दंड प्रावधानों के तहत दर्ज की गईं.  राज्य के वकील द्वारा प्रस्तुत चार्ट पर गौर करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘पराली जलाने की घटनाओं में शामिल सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार नहीं किया गया है. हालांकि, कुछ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करके, कुछ के खिलाफ वायु अधिनियम के तहत मुकदमा चलाकर, अन्य के खिलाफ पर्यावरणीय मुआवजा लगाकर और कुछ मामलों में रेड एंट्री करके एक चयनात्मक दृष्टिकोण अपनाया गया है. मामले को आगे की कार्यवाही के लिए 29 नवंबर को सूचीबद्ध किया गया है. 


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