Punjab Election: पंजाब विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस पार्टी में मुख्यमंत्री पद को लेकर रेस तेज हो गई है. पार्टी में लगातार दावेदारों की संख्या बढ़ती जा रही है. इतना ही नहीं पार्टी के भीतर इसको लेकर बयानबाजी का दौर भी तेज हो गया है.


एक और जहां पार्टी की ओर से यह कहा गया है कि चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी पंजाब में चुनाव लड़ेगी, लेकिन चुनाव के बाद पार्टी सीएम तय करेगी. वहीं दूसरी ओर पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू लगातार यह दावा कर रहे हैं कि उनके पास राज्य की समस्याओं को हल करने का विजन है.


सिद्धू ने कहा, ''पिछले चुनाव में मैंने यह मुद्दा आम आदमी पार्टी के लिए उठाया था. मैं कहता रहा कि बरात घूम रही है लेकिन दूल्हा कहां है? इसका नुकसान आप को हुआ. इस बार कांग्रेस में यही स्थिति है. पंजाब जानना चाहता है कि उनके लिए रोडमैप किसके पास है? कौन पंजाब को इस कीचड़ से बाहर निकालेगा? मैं आप से पूछता था, लेकिन अब लोग हमसे पूछ रहे कि पंजाब कांग्रेस की बारात का दूल्हा कौन है?''


इस बीच पंजाब कांग्रेस के कैंपेन कमिटी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ के मुताबिक पार्टी में एक चेहरे को आगे कर चुनाव नहीं लड़ा जा सकता. इसलिए संयुक्त लीडरशिप में चुनाव होगा, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता भी शामिल होंगे और नए चेहरे भी. पार्टी सिर्फ पिछली बार कैप्टन अमरिंदर सिंह के चेहरे पर चुनाव लड़ी थी.


कांग्रेस पार्टी नहीं लेना चाहती रिस्क


हालांकि सिद्धू लगातार बयान देकर पार्टी पर दबाव बनाते रहे हैं. जिसको लेकर जाखड़ कहते रहे हैं कि किसी एक के चेहरे पर चुनाव लड़ना कांग्रेस की परंपरा नहीं. हाईकमान के आदेश पर मिलकर चुनाव लड़ा जाएगा.


वहीं कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व चन्नी, सिद्धू और जाखड़ तीनों को साथ लेकर चलना चाहता है. ताकि प्रदेश में जातीय समीकरण बना रहे. और कैप्टन के पार्टी को छोड़ने का नुकसान कम से कम उठाना पड़े. फिलहाल सीएम पद पार्टी ने चुनाव के बाद तय करने का ऐलान किया है. जिससे पार्टी को विधायकों के समर्थन के अनुसार सीएम चुनने में आसानी हो.


कांग्रेस पार्टी दलित वोट बैंक के मद्देनजर सीएम चेहरा घोषित करने का दाव नहीं खेलना चाहती है. चन्नी पहले ही अनुसूचित जाति का नेतृत्व कर रहे हैं. वहीं राज्य में 38 फीसदी हिंदू वोट बैंक है, जिसका नेतृत्व सुनील जाखड़ करते हैं. और पंजाब में सिख वर्ग का भी अच्छा खासा महत्व है, जिनका नेतृत्व नवजोत सिंह सिद्धू करते हैं. ऐसे में किसी एक को सीएम घोषित करना पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है.


Punjab News: हरसिमरत कौर बादल का दावा- महिलाएं नहीं होने देंगी शिरोमणि अकाली दल को कमजोर