Haryana Political Crisis Update: हरियाणा में लोकसभा चुनावों के बीच 3 निर्दलीय विधायकों के नायब सिंह सैनी सरकार से समर्थन वापस लेने से सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. इसी बीच पूर्व डिप्टी मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा कि 2 महीने पहले जो सरकार बनी थी, आज वे अल्पमत में चली गई है, क्योंकि उनका समर्थन करने वाले 2 विधायक ने इस्तीफा दे दिया है. 3 विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है. जेजेपी ने खुलकर कहा है कि अगर इस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आता है तो हम बाहर से उसका समर्थन करेंगे.


इसके साथ ही दुष्यंत चौटाला ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर फ्लोर टेस्ट के लिए आदेश देने की अपील की है. अब कांग्रेस को भी कांग्रेस कदम उठाना चाहिए और परिवर्तन के लिए लिखित में राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर अपील करें.



हरियाणा सरकार पर संकट क्यों नहीं?
दरअसल, बीजेपी की हरियाणा सरकार ने जेजेपी से अलग होने के बाद 13 मार्च को ही अपना बहुमत साबित किया था. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की तरफ से ये बहुमत साबित किया गया था. नियम है कि बहुमत साबित होने के छह महीने तक कोई विश्वास मत परीक्षण नहीं हो सकता है. यानी अब सीधे तौर पर 13 सितंबर तक विश्वास मत परीक्षण का कोई प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता.


2 सीटों पर होना है उपचुनाव
बता दें कि हरियाणा की दो लोकसभा सीटों पर उपचुनाव भी होना है. मनोहर लाल खट्टर के विधायक पद से इस्तीफा देने से करनाल विधानसभा सीट खाली हुई थी. जहां से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं सिरसा जिले की रानिया सीट से विधायक रणजीत सिंह चौटाला इस्तीफा देकर हिसार से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.


अक्टूबर-नवंबर में चुनाव संभव
नियम के अनुसार जहां 6 महीने तक अभी कोई विश्वास मत परीक्षण नहीं हो सकता. इसका मतलब है कि विधानसभा चुनाव तक हरियाणा सरकार अल्पमत में चल सकती है, क्योंकि अभी आने वाले 4 महीने तक सैनी सरकार को कोई खतरा नहीं है. फिर इसी साल अक्टूबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं.


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