Haryana News: हरियाणा पुलिस ने शुक्रवार (22 फरवरी) को कहा कि वह किसान आंदोलन का हिस्सा रहे कुछ किसान नेताओं के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के प्रावधानों को लागू करने के अपने फैसले को वापस ले रही है. इससे एक दिन पहले अंबाला पुलिस ने एक बयान जारी कर कहा था कि वह कानून व्यवस्था बनाए रखने और आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 की धारा 2(3) के तहत प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के पदाधिकारियों को हिरासत में लेने की प्रक्रिया शुरू कर रही है.


हालांकि, शुक्रवार (22 फरवरी) को पुलिस महानिरीक्षक (अंबाला रेंज) सिबाश कबीराज ने कहा, "स्पष्ट किया जाता है कि अंबाला जिले के कुछ किसान यूनियन नेताओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के मामले पर पुनर्विचार किया गया है और यह निर्णय लिया गया है कि इसे लागू नहीं किया जाएगा." उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों और उनके नेताओं से शांति तथा कानून-व्यवस्था बनाए रखने में अधिकारियों के साथ सहयोग करने की भी अपील की.






'प्रदर्शन में दो पुलिसकर्मियों की मौत'
इससे पहले अंबाल पुलिस ने कहा था, "दिनांक 13 फरवरी 2024 से किसान संगठनो द्वारा किसानों द्वारा दिल्ली कूच को लेकर शम्भू बार्डर पर लगे बैरिकेडस को तोड़ने के लगातार प्रयास किये जा रहे है. जहां पुलिस प्रशासन पर पत्थर बाजी और हुड़दंग बाजी करके कानून व्यवस्था बिगाड़ने की प्रतिदिन कोशिश की जा रही है. इस दौरान उपद्रवियों द्वारा सरकारी और प्राइवेट सम्पति को काफी नुकसान पंहुचाया जा चुका है. इस आन्दोलन के दौरान लगभग 30 पुलिस कर्मचारियों को चोटें आई हैं, एक पुलिस कर्मचारी को ब्रेन हेमरेज और 2 पुलिस कर्मचारियों की मृत्यु हो चुकी है."


पुलिस ने आगे कहा था, "इस आन्दोलन में कई किसान नेता सक्रिया भूमिका में हैं और कानून व्यवस्था को बिगाड़ने का काम कर रहे है. लगातार सोशल मिडिया जैस फेसबुक, व्हाट्सएप्प, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम जैसे माध्यम से भड़काऊ और उकसाने वाले भाषण देकर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है." पुलिस ने दावा किया कि सामजिक सौहार्द बिगाड़ने हेतु लगातार पोस्ट डाली जा रही है और इस आन्दोलन में लगातार भाषण बाजी करके आन्दोलनकारियों का प्रशासन के विरुद्ध भड़काया जा रहा है.


प्रदर्शन को लेकर पुलिस ने क्या कहा?
पुलिस के मुताबिक, "प्रशासनिक अधिकारियों, सरकार के विरुद्ध गलत शब्दों का भरपूर प्रयोग किया जा रहा है. आन्दोलन की आड़ में उपद्रवियों द्वारा भंयकर उत्पात मचाया जा रहा है. अपराधिक गतिविधियों को रोकने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा 2 (3) राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 (एनएसए एक्ट) तहत किसान संगठनों के पदाधिकारियों को नजरबंद करने की कार्रवाई प्रशासन द्वारा अमल में लाई जा रही है. जिससे आन्दोलन के दौरान कानून व्यवस्था को कायम रखा जा सके और सामजिक सौहार्द बिगड़ने ना पाये."


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