Punjab News: 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) और उसके साथियों भगवंत उर्फ बाजेके, गुरुमीत बुकानवाला, बसंत सिंह और कुलवंत रावके की तरफ से दायर की गई याचिका पर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने सवाल खड़े किए हैं. हाईकोर्ट की तरफ से कहा गया कि जब एफआईआर दर्ज होने के बाद इन सभी को गिरफ्तार किया गया है तो गिरफ्तारी अवैध कैसे हो सकती है? आपको बता दें कि हाईकोर्ट में दायर इस याचिका में अमृतपाल और उसके साथियों की तरफ से कहा गया है कि उनकी गिरफ्तारी गलत है, उनके खिलाफ की गई कार्रवाई को रद्द करके उन्हें रिहा किया जाए.  


अजनाला हिंसा के बाद दर्ज हुई थी FIR


23 फरवरी को 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर अमृतसर के अजनाला पुलिस थाने पर हमला कर दिया था. अपने साथ तूफान सिंह को छुड़ाने के लिए थाने पर हमला किया गया था. इस दौरान अमृतपाल के समर्थकों ने थाने पर तलवार और बंदूकें लहराई थी. अमृतपाल सिंह अपने साथ श्री गुरुग्रंथ साहिब की पवित्र बीड़ लेकर पहुंचा था, जिस वजह से पुलिस पीछे हट गई थी. थाने पर हमले के दौरान कुछ पुलिसकर्मी घायल भी हुए थे. आपको बता दें कि 15 फरवरी की रात अजनाला में पहुंचे चमकौर साहिब के बरिंदर सिंह को कुछ लोगों अगवा कर उसके साथ मारपीट की थी, इस मामले में अमृतपाल सिंह सहित उसके समर्थकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. उसके साथ तूफान सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. तूफान सिंह को छुड़ाने के लिए अमृतपाल ने अजनाला थाने पर प्रदर्शन किया था. 


36 दिन तक फरार रहा था अमृतपाल


अजनाला हिंसा के बाद पुलिस ने अमृतपाल और उसके साथियों पर एफआईआर दर्ज कर ली थी. लेकिन जब पुलिस अमृतपाल को गिरफ्तार करने के लिए पहुंची तो वो फरार हो गया. जिसके बाद करीब 36 दिन तक अमृतपाल पंजाब पुलिस को चकमा देता रहा. उसकी तलाश पूरे पंजाबभर से हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और दिल्ली में छापेमारी की गई. फिर 23 अप्रैल 2023 को पंजाब पुलिस ने अमृतपाल सिंह को मोगा के रोडे गांव से गिरफ्तार किया. 


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