महाराष्ट्र के यवतमाल जिले की एक ग्राम पंचायत में 1,500 की आबादी होने के बावजूद केवल तीन महीने के अंदर 27 हजार 398 ‘विलंबित जन्म पंजीकरण’ दर्ज किए गए हैं. अधिकारियों ने शुक्रवार (19 दिसंबर) को बताया कि बड़े पैमाने पर साइबर धोखाधड़ी के संदेह में इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है.

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जिला सूचना अधिकारी द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के सतर्कता अभियान के दौरान यह गड़बड़ी पकड़ी गई. अवैध और विलंबित जन्म-मृत्यु पंजीकरण को रद्द करने के महाराष्ट्र सरकार के हालिया आदेश के बाद विभाग ने सितंबर से नवंबर के बीच के रिकॉर्ड की जांच शुरू की थी.

डेटा की जांच के बाद दंग रह गए अधिकारी

जब अधिकारियों ने आर्नी तालुका की शेंदुरसनी ग्राम पंचायत के डेटा की जांच की तो वे दंग रह गए. विज्ञप्ति के अनुसार तीन महीने की अवधि में सिस्टम के जरिए 27 हजार से अधिक 'विलंबित जन्म' दर्ज किए गए. ये वो मामले थे जहां जन्म के काफी समय बीत जाने के बाद पंजीकरण कराया गया था. महज 1,500 की आबादी वाले गांव में इतनी बड़ी संख्या में यह पंजीकरण होना एक गंभीर मामला था.

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यवतमाल जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मंदार पत्की ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक जांच समिति गठित की. जांच में निष्कर्ष निकला कि 27 हजार 398 जन्म रिकॉर्ड में से 27 हजार 397 और सात मृत्यु रिकॉर्ड उस पंचायत क्षेत्र के हैं ही नहीं. यह पूरी तरह से संदिग्ध हैं, क्योंकि ग्राम पंचायत के माध्यम से इतनी बड़ी संख्या में पंजीकरण होना नामुमकिन है.

पुणे के स्वास्थ्य सेवा उपनिदेशक को जांच के लिए भेजा मामला

विज्ञप्ति के अनुसार राज्य स्तरीय जांच में पता चला कि शेंदुरसनी ग्राम पंचायत की सीआरएस (सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम) आईडी को मुंबई से जोड़ा (मैप किया) गया था. मामले की गहराई से जांच के लिए इसे दिल्ली स्थित भारत के अतिरिक्त रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) को भेज दिया गया है.

गुरुवार (11 दिसंबर) को मिली तकनीकी जांच रिपोर्ट के अनुसार, इन रिकॉर्ड में साइबर धोखाधड़ी की आशंका जताई गई है. विज्ञप्ति में बताया गया कि इस मामले को लेकर यवतमाल शहर थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है.

इस बीच जिला स्वास्थ्य अधिकारी और जिला जन्म-मृत्यु पंजीयक ने यवतमाल के सभी पंजीयकों से अपील की है कि वे अपनी सीआरएस आईडी, पासवर्ड या ओटीपी किसी के भी साथ साझा न करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत प्रशासन को दें.