केंद्र सरकार की नदियों के जरिए परिवहन को प्रोत्साहित करने की योजना अब वास्तविक रूप लेती दिख रही है. देश में आंतरिक जल परिवहन को मजबूत बनाने की सरकारी पहल अब ज़मीनी स्तर पर शुरू हाे रही है. इसमें विशेष रूप से गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों पर आधारित जलमार्ग परियोजनाओं में निर्माण, ड्रेजिंग और माल ढुलाई संबंधी गतिविधियों में हाल के महीनों में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई है. इस परियाेजना में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा) और जलमार्ग-2 (ब्रह्मपुत्र) के तहत कई महत्त्वपूर्ण कार्य प्रगति पर हैं. केंद्र सरकार की नीतियों के साथ अब निजी क्षेत्र की भागीदारी भी इस दिशा में रफ्तार पकड़ रही है. कुछ निजी कंपनियाँ, जो पहले वित्तीय कठिनाइयों से जूझ रही थीं, अब फिर से इस क्षेत्र में सक्रिय हो रही हैं.
DDIL का कितना याेगदान?
इसी क्रम में धरती ड्रेजिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (DDIL) का उदाहरण उल्लेखनीय है. पिछले वर्ष 2023 में यह कंपनी गहरे आर्थिक संकट में थी, लेकिन योगायतन ग्रुप द्वारा NCLT प्रक्रिया के माध्यम से अधिग्रहण के बाद इसका पुनर्गठन हुआ. इसके बाद DDIL को गंगा और ब्रह्मपुत्र पर ड्रेजिंग से जुड़े कई कार्यों के अनुबंध मिले, जिनमें भारत–बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट और इनलैंड वॉटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IWAI) की योजनाएं शामिल हैं.
इसके साथ ही DDIL अब अगले वित्त वर्ष 2025–26 में ₹90 करोड़ तक की आय का लक्ष्य लेकर चल रही है. कंपनी के प्रबंध निदेशक डॉ. अमेय प्रताप सिंह के अनुसार, “हमारी वापसी सिर्फ कॉर्पोरेट पुनर्गठन नहीं, बल्कि एक बड़े बुनियादी ढांचे की प्रक्रिया में निजी क्षेत्र के योगदान की मिसाल है. नीति विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही सरकार ने अब तक 111 नदियों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया हो, लेकिन इनका वास्तविक उपयोग सीमित ही रहा है.
परियोजना कार्यान्वयन, पर्यावरणीय स्वीकृतियाँ और बहु-एजेंसी समन्वय जैसे मुद्दे अब भी चुनौतियाँ बने हुए हैं. फिर भी, जिस तरह निजी कंपनियाँ दोबारा रुचि दिखा रही हैं और परियोजनाएं गति पकड़ रही हैं, वह संकेत देता है कि भारत का आंतरिक जल परिवहन तंत्र अब एक नए युग में प्रवेश कर सकता है.
कितना हाेगा फयदा?
यदि केंद्र सरकार की यह योजना सफलतापूर्वक पूरी हो जाती है, तो इसके कई सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं. उदाहरण के लिए, एक राज्य से दूसरे राज्य तक माल का आयात-निर्यात करना न केवल आसान होगा, बल्कि मौजूदा ट्रक और रेल परिवहन की तुलना में अधिक सस्ता और सुविधाजनक भी बन जाएगा.