महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट केस में एनआईए कोर्ट ने लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया. इस बड़ी राहत पर पुरोहित ने जज से कहा कि मैं शुक्रिया करता हूं कि मुझे ये फैसला सुनाया, मैं आर्मी के लिए काम करता रहा हूं और आगे भी करता रहूंगा.
प्रसाद पुरोहित ने “जय हिंद” कहकर अपनी बात की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि पिछले 17 वर्षों में जो सजा मुझे मिली, वह मैंने भुगती है. जमानत पर बाहर आने के बाद भी मुझे बहुत कुछ सहना पड़ा.अधिकारों का दुरुपयोग कर हमें सजा दी गई.
उन्होंने कहा, ''जो भी हमारे साथ हुआ, मैं किसी को दोष नहीं देता. कई बार ऐसे संस्थान जांच एजेंसियां बीमार हो जाती हैं, इसमें मिलावट हो जाती है, ये संस्थान बुरे नहीं हैं, लेकिन इनके कुछ लोग बुरे रहते हैं, जो कानून का दुरुपयोग करते हैं. देश मजबूत होना चाहिए. बुनियाद मजबूत होनी चाहिए. मैं आपको धन्यवाद देता हूँ कि आपने आम आदमी का सिस्टम में विश्वास फिर से जगाया है.''
जज ने क्या कहा?
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के मामलों की सुनवाई के लिए नियुक्त स्पेशल जज एके लाहोटी ने कहा कि संदेह के आधार पर दोषी नहीं ठहरा सकते हैं. उन्होंने कहा कि मामले को संदेह से परे साबित करने के लिए कोई ‘विश्वसनीय और ठोस’ सबूत नहीं है. अदालत ने कहा कि इस मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधान लागू नहीं होते हैं.
कब हुआ धमाका और कौन-कौन थे आरोपी?
मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में लगाए गए विस्फोटक उपकरण में विस्फोट हुआ था. इस विस्फोट से छह लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.
इस मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी आरोपी थे.