Maharashtra Legislative Assembly Winter Session: महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोरहे ने मंगलवार को कहा कि विधानमंडल के आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान मराठा आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी. गोरहे सात दिसंबर को यहां आरंभ होने वाले सत्र की तैयारियों की समीक्षा के बाद विधानभवन में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं. सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में आरक्षण की मराठा समुदाय की मांग ने पिछले महीने उस समय जोर पकड़ लिया था, जब कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने इस मुद्दे पर भूख हड़ताल शुरू की थी. इस दौरान राज्य के कुछ हिस्सों में आरक्षण आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया था.


शीतकालीन सत्र के दौरान उठाया जाएगा ये मुद्दा
यह पूछे जाने पर कि क्या सत्र के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा होगी, गोरहे ने कहा कि अभी तक उनके पास कोई प्रस्ताव नहीं आया है. उन्होंने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह मुद्दा शीतकालीन सत्र के दौरान उठाया जाएगा. लेकिन जब तक सभी कामकाज और अन्य प्रक्रियाओं को अंतिम रूप नहीं दिया जाता, मैं (चर्चा की) तारीख की घोषणा नहीं कर सकती...लेकिन आरक्षण के मुद्दे पर दोनों सदनों में चर्चा होगी और हर कोई चाहता है कि कुछ स्थायी समाधान निकले.”


छगन भुजबल द्वारा मराठों को ओबीसी आरक्षण में शामिल करने के लिए कुनबी जाति प्रमाण पत्र का कड़ा विरोध करने के बाद मराठा आरक्षण के मुद्दे पर राज्य के सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर मतभेद सामने आ गए हैं. यह मुद्दा, जिस पर एनसीपी मंत्री की शिवसेना और बीजेपी में उनके सहयोगियों द्वारा चौतरफा आलोचना की गई है, मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में उठने की संभावना है.


प्रमुख ओबीसी नेता भुजबल मराठों को कुनबी उप-जाति प्रमाण पत्र जारी करने के राज्य सरकार के विशेष अभियान की आलोचना कर रहे हैं और इसे ओबीसी श्रेणी में मराठों की "पिछले दरवाजे से प्रवेश" बता रहे हैं. रविवार को उन्होंने मांग की कि इसके लिए एक तंत्र बनाने के लिए सरकार द्वारा नियुक्त पैनल को भंग कर दिया जाए. एनसीपी मंत्री ने यह भी टिप्पणी की कि गृह विभाग इस तथ्य को सामने रखने में विफल रहा है कि जालना में मराठा प्रदर्शनकारियों पर 1 सितंबर को लाठीचार्ज भीड़ द्वारा पुलिस पर हमला करने के बाद हुआ था.


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