महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात को लेकर एमएनएस के अध्यक्ष राज ठाकरे का बयान आया है. राज ठाकरे ने से मुलाकात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कहा कि मुंबई, ठाणे और पुणे जैसे शहरों की हालत टाउन प्लानिंग और ट्रैफिक अनुशासन की कमी से बिगड़ रही है. उन्होंने याद दिलाया कि 2014 में उन्होंने एस्थेटिक और टाउन प्लानिंग पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाई थी, जो आज भी यूट्यूब पर मौजूद है.

ठाकरे ने कहा कि किसी भी शहर का भविष्य उसके ट्रैफिक से समझा जा सकता है और आज मुंबई समेत अन्य शहरों में बढ़ती आबादी के बावजूद कोई ठोस योजना नहीं दिखती.

राज ठाकरे ने आगे कहा, "यहां गाड़ियों को खड़ा करने का किसी को कुछ पता ही नहीं है. मैंने ट्रैफिक को लेकर एक प्लान बनाया, जिसे मैंने मुख्यमंत्री को बताया. मुंबई पुलिस कमिश्नर देवेन भारती और जॉइंट कमिश्नर ट्रैफिक अनिल कुंभारे मौजूद थे."

फुटपाथ पर रंग बनाना चाहिए- राज ठाकरे

उन्होंने सड़क पर अतिक्रमण, ट्रैफिक अनुशासन की कमी और पार्किंग की समस्या को सबसे गंभीर मुद्दा बताते हुए सुझाव दिया कि फुटपाथ पर कलर कोडिंग कर पार्किंग और नो-पार्किंग जोन तय किए जाएं और इसे बड़े पैमाने पर प्रचारित किया जाए.

राज ठाकरे ने कहा कि फुटपाथ पर रंग बनाना चाहिए, ताकि उससे समझ सके कि गाड़ियां कहां न लगाई जाएं. इस तरह का विज्ञापन अखबारों को दिया जाए, इस संदर्भ में प्रस्ताव दिया है. कई बाइक वाले नियमों को नहीं मानते.

पब्लिक पार्किंग पर भी उठाए सवाल

उनका कहना था कि नियम न मानने वालों पर कड़ी कार्रवाई और सख्त सजा जरूरी है, वरना अराजकता बढ़ेगी. ठाकरे ने पब्लिक पार्किंग पर भी सवाल उठाया. उनका कहना था कि जब पार्किंग के लिए जगह उपलब्ध है और उसके रेट गाड़ियों की तुलना में बेहद कम हैं, तो लोग उसका इस्तेमाल क्यों नहीं करते?

उन्होंने कहा, “हम घरों के लिए प्रति स्क्वेयर फुट भुगतान करते हैं, तो पार्किंग के लिए क्यों नहीं?” कोस्टल रोड पर बनी पार्किंग योजना के स्थानीय निवासियों द्वारा विरोध किए जाने को भी ठाकरे ने गलत बताया और कहा कि यह सोच शहर को और अव्यवस्थित करेगी.

कबूतर और हाथियों में उलझाया जा रहा- राज ठाकरे

सरकार और व्यवस्था पर हमला करते हुए ठाकरे ने कहा कि जनता को असली मुद्दों से भटकाकर कबूतर और हाथियों में उलझाया जा रहा है. उन्होंने सवाल उठाया कि हमेशा सरकारी जमीन पर ही झोपड़पट्टियां क्यों बनती हैं, निजी जमीन पर क्यों नहीं?

उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सरकार असली शहरी समस्याओं की बजाय अर्बन नक्सल जैसे मुद्दों में जनता का ध्यान भटका रही है. सड़कों और गड्ढों पर तीखा हमला बोलते हुए ठाकरे ने कहा कि सड़क बनाना अब एक धंधा बन चुका है. सड़कें जानबूझकर इस तरह बनाई जाती हैं कि जल्दी गड्ढे पड़ें, फिर मरम्मत के टेंडर आएं और उसके बाद नई सड़क बने.

एमएनएस प्रमुख ने कहा, “जब जनता गड्ढों के बावजूद नेताओं को वोट देती है तो उन्हें अच्छी सड़क क्यों मिलेगी?” ठाकरे ने कहा कि मुंबई आने वाले लोग यहां के गड्ढे देखकर हैरान हो जाते हैं, जबकि उनका राज्य उनका शहर तो गड्ढों में ही धंस चुकी होती है.

राज ठाकरे ने की ये मांग

अन्य मुद्दों पर बोलते हुए ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को 25 अगस्त को ‘वराह जयंती’ घोषित कर इसे सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों के साथ मनाना चाहिए.

साथ ही उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “अगर घर में चूहे हों तो हम उन्हें भगाते हैं, यह नहीं सोचते कि वे गणपति के वाहन हैं. वैसे ही जैन लोग कबूतर पालते हैं, जबकि लोग उनकी वजह से परेशान हैं.”