केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता रक्षा खडसे ने बुधवार (26 नवंबर) को कहा कि वह खुद को ‘सैंडविच’ जैसी स्थिति में महसूस कर रही हैं. स्थानीय निकाय चुनावों से पहले चल रहे राजनीतिक विवाद के बीच वह दो वरिष्ठ नेताओं-अपने ससुर एकनाथ खडसे और अपने वरिष्ठ पार्टी सहयोगी गिरीश महाजन के बीच फंसी हुई है.
विपक्षी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के विधान परिषद सदस्य एकनाथ खडसे और महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कैबिनेट मंत्री महाजन, दोनों ही जलगांव जिले से हैं. अक्सर अपने गृह क्षेत्र और उससे बाहर की राजनीति में दबदबा बनाने के लिए एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहते हैं. एकनाथ खडसे कभी बीजेपी में थे.
गिरीश महाजन मेरे पिता जैसे हैं- रक्षा खडसे
जलगांव के चोपड़ा शहर में एक चुनावी रैली के बाद रक्षा खडसे ने कहा, ‘‘एकनाथ खडसे मेरे ससुर हैं और मैं उनकी बहुत इज्जत करती हूं. गिरीश महाजन पार्टी में वरिष्ठ नेता हैं और मेरे लिए पिता जैसे हैं. जब दोनों के बीच अनबन होती है, तो मैं बीच में फंस जाती हूं.
उन्होंने बताया कि एक तरफ नाथाभाऊ हैं, मेरे ससुर, और दूसरी तरफ गिरीश काका हैं, जो मेरे पिता जैसे हैं. उनके झगड़े से मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं पूरी तरह से ‘सैंडविच’ बन गई हूं.’’ केंद्रीय युवा मामले और खेल राज्य मंत्री महाराष्ट्र के जलगांव जिले के रावेर से तीसरी बार लोकसभा सदस्य चुनी गई हैं, जहां दो दिसंबर को होने वाले नगरपालिका परिषद चुनावों से पहले राजनीतिक माहौल गरमा गया है.
गिरीश महाजन ने एकनाथ खडसे पर बोला हमला
गिरीश महाजन ने एनसीपी (एसपी) नेता एकनाथ खडसे पर तीखा हमला करते हुए दावा किया कि ‘अब उन्हें कोई नहीं पहचानता’ और कहा कि उनका राजनीतिक असर कम हो गया है. एकनाथ खडसे करीब तीन दशक तक बीजेपी के साथ रहे और वर्ष 2016 में पुणे में एक विवादित जमीन सौदे को लेकर उन्होंने देवेंद्र फडणवीस कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था.
एकनाथ धीरे-धीरे बीजेपी से दूर हो गए और बाद में अविभाजित एनसीपी में शामिल हो गए. एकनाथ वर्ष 2023 में पार्टी के टूटने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट में शामिल हो गए. महाजन ने एकनाथ खडसे को जलगांव जिले में कम से कम एक नगरपालिक परिषद में जीत पक्की करने की चुनौती दी और कहा कि राज्य की राजनीति में उनकी अहमियत काफी कम हो गई है.
बीजेपी मंत्री ने एकनाथ खडसे पर लगाया आरोप
बीजेपी मंत्री महाजन ने आरोप लगाया कि एनसीपी (एसपी) नेता चुनावों के दौरान अक्सर अपनी स्थिति बदलते रहते हैं. साल 2016 में एकनाथ खडसे के कैबिनेट से बाहर होने का जिक्र करते हुए महाजन ने दावा किया कि वरिष्ठ नेता, जिनके पास तब अहम विभाग थे, ने भूमि सौदे को लेकर आरोप लगने पर अपनी मर्जी से इस्तीफा नहीं दिया था, बल्कि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें पद छोड़ने के लिए कहा था.
महाजन ने आरोपों के बावजूद इस्तीफा नहीं दिया- एकनाथ खडसे
इन बातों का जवाब देते हुए एकनाथ खडसे ने कहा कि जब बीजेपी नेतृत्व ने उनसे इस्तीफा देने के लिए कहा तो उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी के चलते 30 मिनट के अंदर अपने पद से इस्तीफा दे दिया. एनसीपी (एसपी) नेता ने जोर देकर कहा कि उन्हें कैबिनेट से बाहर नहीं किया गया जबकि महाजन ने कई मौकों पर आरोपों का सामना करने के बावजूद इस्तीफा नहीं दिया. महाराष्ट्र में 246 नगरपालिका परिषद और 42 नगर पंचायतों के चुनाव दो दिसंबर को होंगे और नतीजे अगले दिन घोषित किए जाएंगे.