Uddhav Thackeray Raj Thackeray: महाराष्ट्र में 20 सालों के बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक मंच पर आए. इस दौरान उद्धव ठाकरे ने मराठी को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर जमकर निशाना साधा.

शिवसेना यूबीटी के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमारे एक होने पर सबकी नजर है. राजनीतिक दूरियां दूर करके हमने एकता दिखाई, हमारे बीच की दूरियां जो मराठी ने दूर की है. वो सभी को अच्छी लग रही है, हम दोंनों एक होकर आपको बाहर फेंकते हैं. मोदी किस स्कूल में पढ़े थे? हिन्दुत्व हमने छोड़ा नहीं है, ना छोड़ेंगे, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को कहना चाहता हूं कि भाषा के नाम पर गुंडागर्दी नहीं चलने देंगे.

उन्होंने कहा कि आज मेरे भाषण से जरूरी है राज-उद्धव के एकसाथ आने की तस्वीर. आज हमारे बीच में जो अंतर था वह अनाजी पंथ ने दूर किया है. एकसाथ आए हैं, एकसाथ रहने के लिए. आज सभी नींबू-मिर्ची काटने व्यस्त रहेंगे. आज सबको उखाड़ फेंकने के लिए हम एकसाथ आए हैं.

साथ चुनाव लड़ने के संकेत

उद्धव ठाकरे ने कहा, ''भाषा के नाम पर गुंडगर्दी सहन नहीं करेंगे. ऐसा देवेंद्र फडणवीस ने कहा. पर भाषा के लिए हम गुंडे हैं.'' उन्होंने आगामी निकाय चुनाव भी साथ लड़ने की बात कही.

पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि डर निर्माण करके मराठी को मराठी से लड़वाया. हम एक हो गए हैं, बहुत हो गया. अब इनको उखाड़ फेंकने का समय आ गया है.

राज ठाकरे ने क्या कहा?

उद्धव ठाकरे से पहले राज ठाकरे ने सभा को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि मैं लगभग 20 वर्ष बाद उद्धव ठाकरे के साथ मंच साझा कर रहा हूं. राज ठाकरे ने कहा कि मुख्यमंत्री फडणवीस ने वह कर दिखाया जो बालासाहेब ठाकरे नहीं कर सके, मुझे और उद्धव को एक साथ लाना.

एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि त्रिभाषा फॉर्मूले पर फैसला मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की साजिश का मुख्य हिस्सा था. महाराष्ट्र सरकार ने मराठी लोगों की मजबूत एकता के कारण त्रिभाषा फार्मूले पर फैसला वापस लिया.

राज ठाकरे के भाषण के बाद उद्धव ठाकरे ने हाथ मिलाया और उनकी पीठ थपथपाई और हंसते हुए दोनों बातचीत करते दिखे.

बता दें कि पिछले दिनों महाराष्ट्र सरकार ने पहली से पांचवीं तक तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी को पढ़ाने का फैसला लिया था. इसके खिलाफ दोनों चचेरे भाई एकजुट हुए. हालांकि बाद में सरकार ने ये फैसला वापस ले लिया. इसके बाद दोनों भाईयों ने विजय रैली का आह्वान किया. राज ठाकरे ने 2005 में शिवसेना से इस्तीफा दे दिया था. इसके अगले साल उन्होंने एमएनएस का गठन किया. इसके बाद पहली बार है जब वो सियासी मंच पर उद्धव ठाकरे के साथ नजर आए हैं.