शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के मुखपत्र ‘सामना’ ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर बड़ा दावा किया है. ‘सामना’ के मुताबिक धनखड़ को हटाने के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बीच बढ़ती दूरी और टकराव है. सामना ने तीखा हमला करते हुए कहा कि मोदी की असुरक्षा भावना इसके पीछे की असली वजह है.
‘मोदी ने बनाया, मोदी ने हटाया’
सामना में लिखा गया है कि, 'एक तानाशाह को खुश रखना आसान नहीं होता, क्योंकि तानाशाह केवल खुद की परवाह करता है. धनखड़ का पतन उन लोगों के लिए सबक है जो खुद को मोदी का करीबी मानते हैं.' सामना का कहना है कि मोदी ने ही धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाया था और अब उन्हीं के इशारे पर उनका इस्तीफा लिया गया.
संघ प्रमुख भागवत से बढ़ती नजदीकी से बिगड़ा खेल
सामना का दावा है कि धनखड़ की संघ प्रमुख मोहन भागवत से नजदीकियां बढ़ रही थीं. उन्होंने भागवत को 5 से 6 बार भोजन पर बुलाया था. दावा है कि संघ और धनखड़ के बीच बनी बढ़ती खिचड़ी से मोदी नाराज थे.
भागवत पहले ही कह चुके हैं कि नेताओं को 75 की उम्र में रिटायर हो जाना चाहिए. सामना का मानना है कि धनखड़ ने इस बात को गंभीरता से लिया और संघ के करीब हो गए.
PMO की बैठक के बीच भेजा इस्तीफा!
सामना ने लिखा है कि पीएम मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा PMO में बैठक कर रहे थे, उसी दौरान धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा भेज दिया. सामना ने लिखा कि 'PMO की बैठक चल रही थी और तभी उपराष्ट्रपति का विकेट गिर गया!'
रामगोपाल यादव की ‘भविष्यवाणी’ पर मुहर
सामना ने समाजवादी पार्टी नेता प्रो. रामगोपाल यादव का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने बहुत पहले कहा था कि यह व्यक्ति कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगा. जो लोग मूल रूप से भाजपा से हैं, वे भी इतने लाचार नहीं होते. ये कुछ ज्यादा ही लाड़ उठा रहे हैं.
सामना ने एक और बड़ा दावा किया है कि अमित शाह प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं. लेकिन मोदी अब खुद शाह को भी बर्दाश्त नहीं करेंगे. दोनों के रिश्ते अब सिर्फ औपचारिक रह गए हैं.
धनखड़ के इस्तीफे को लेकर सामना का यह संपादकीय सिर्फ एक व्यक्ति की विदाई नहीं, बल्कि भाजपा-संघ के भीतर चल रहे सत्ता संघर्ष की ओर इशारा कर रहा है. आने वाले दिनों में इस घटनाक्रम के और बड़े राजनीतिक नतीजे सामने आ सकते हैं.