मराठी भाषा और मराठी मानुष का मुद्दा फिर से महाराष्ट्र के विधान परिषद में उठा. इसी को लेकर गुरुवार (10 जुलाई) को शिवसेना शिंदे गुट के नेता और सरकार में मंत्री शंभुराज देसाई और उद्धव गुट के नेता और विधायक अनिल परब के बीच तीखी बहस हुई. इसी दौरान अमर्यादित शब्दों का प्रयोग हुआ.

शिवसेना (यूबीटी) के नेता और पूर्व मंत्री अनिल परब ने शिंदे के मंत्री को गद्दार कहा, इसको लेकर शिवसेना के नेता और मंत्री गुस्से में आ गए और अभद्र भाषा का प्रयोग किया.

दरअसल, विधान परिषद में बहस के दौरान अनिल परब ने सरकार से यह मांग की कि सरकार मराठी मानुष के लिए घरों में 40 फीसदी का आरक्षण दे, यानी की कोई भी सरकारी संस्थान जैसे MMRDA , Mhada, जो घर बनाती है और बेचती या आवंटित करती है, उसमें मराठी लोगों को प्राथमिकता दी जाए.

आपने क्यों नहीं किया?- शंभुराज देसाई

इन सब के बीच एकनाथ शिंदे कि शिवसेना के नेता और महाराष्ट्र में कैबिनेट मंत्री शंभुराज देसाई खड़े होकर के जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा, ''यह बात अच्छी है कि मराठी लोगों के हित के बारे में विपक्ष तथा आप सोच रहे हैं, लेकिन 2019 से 2022 के बीच आपकी महाराष्ट्र में सरकार थी, तब आपने यह कदम क्यों नहीं उठाया. तब आपका मराठी प्रेम कहां चला गया था?'' 

इस दौरान अनिल परब ने टोका और कहा, ''हमने नहीं किया तो तुम करो, तुमको क्यों इतनी दिक्कत हो रही है? यह सरकार मराठी विरोधी है, आप कानून बनाएं और 40 फीसदी रिजर्वेशन मराठी मानस के लिए रख दीजिए या फिर इस बारे में एक समिति का गठन कीजिए, हमने नहीं किया तो आप भी नहीं करेंगे क्या? आप कीजिए.'' 

यह बहस इतनी तेज हो गई कि दोनों ही नेता तू तड़ाक पर उतर आए. यही नहीं इन सब के बीच परिषद की अध्यक्ष नीलम गोरे ने दोनों को शांत करने का प्रयास किया, लेकिन बहस इतने नीचे गिर चुकी थी कि मंत्री और पूर्व मंत्री अभद्र भाषा में वाद-विवाद करने लगे. जिसके बाद विधान परिषद की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई.