Maharashtra News: पूरी दुनिया में सबसे जानलेवा बीमारियों में से कैंसर ऐसी बीमारी है जिसके लाखों मरीज भारत में हैं. दुनिया में कैंसर के सबसे ज्यादा मरीजों की सूची में भारत तीसरे नंबर पर है. मुंबई स्थित देश के सबसे बड़े टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर की तरफ से अब इस जानलेवा बीमारी को लेकर एक उम्मीद जगाने वाली खबर सामने आई है.


मुंबई के टाटा मेमोरियल सेंटर के एक शोध में यह दावा किया गया है कि उन्होंने कैंसर की एक बेहद किफायती संभावित दवा (टेबलेट) ढूंढ ली है, जो  कैंसर सेल्स को फिर से बढ़ने से रोक सकती है और कैंसर ट्रीटमेंट थेरेपी के दुष्प्रभावों को कम करने में सहायक है. 


कैंसर को लेकर टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल का नया शोध


टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल ने अपने नए शोध के जरिए एक टेबलेट विकसित की है. जिसमें मुख्य बाते ये हैं कि विकसित किया गया टैबलेट कैंसर ट्रीटमेंट थेरेपी यानी कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को कम करने में असरदार होगा. यह टैबलेट कीमोथेरेपी जैसे ट्रीटमेंट के बुरे प्रभावों को 50 प्रतिशत तक कम करने में मददगार साबित हो सकती है.


. कैंसर के दोबारा बढ़ने या होने से रोकने के लिए संभावित दवा हो सकती है. कैंसर के दोबारा होने की संभावना को 30% तक कम करने में मददगार साबित हो सकती है.


. टाटा रिसर्च ने जो टैबलेट विकसित की है, जिसकी कीमत मात्र 100 रुपए हो सकती है.


टाटा के डॉक्टर्स इस टैबलेट पर करीब 12 साल से काम कर रहे हैं. चूहों पर प्रयोग कर इस दवा का सकारात्मक असर दिखा. इस दवा को जून-जुलाई में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) से मंजूरी मिलने की संभावना है.


दवा कैसे काम करेगी ? 


शोध अध्ययन में पाया गया कि मरने वाले कैंसर सेल्स कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के बाद सेल-फ्री क्रोमैटिन पार्टिकल छोड़ते हैं, जो हेल्दी सेल्स को कैंसर में बदल सकते हैं. इसका समाधान खोजने के लिए शोध के दौरान डॉक्टर्स ने चूहों को रेस्वेराट्रोल और कॉपर (R+Cu) के साथ प्रो-ऑक्सीडेंट टैबलेट दीं. R+Cu ऑक्सीजन रेडिकल प्रोड्यूस करता है, जो इन क्रोमैटिन पार्टिकल को नष्ट कर देता है.


जब मौखिक रूप से इस टैबलेट को दिया गया तो पेट में इससे ऑक्सीजन रेडिकल्स प्रोड्यूस हुए, जो ब्लड सर्कुलेशन में प्रवेश करने के लिए जल्दी से अवशोषित हो जाते हैं. ऑक्सीजन रेडिकल्स सर्कुलेशन में जारी क्रोमैटिन पार्टिकल को नष्ट कर देते हैं और 'मेटास्टेसिस' को रोकते हैं. यानी की कैंसर कोशिकाओं को शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में ले जाना. शोधकर्ताओं ने दावा किया कि R+Cu कीमोथेरेपी टॉक्सिसिटी को भी रोकता है.


मरिजों तक कब पहुंचेगी दवा? 


कैंसर ट्रीटमेंट के दुष्परिणामों (कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी) पर असर का परीक्षण चूहों और इंसानों दोनों पर किया गया, लेकिन इसकी रोकथाम का परीक्षण अभी सिर्फ चूहों पर किया गया है. इसके लिए मानव परीक्षण यानी ह्यूमन ट्रायल पूरा करने में लगभग पांच साल यानी 2028 तक का समय लगेगा. लोगों को इसका लाभ मिलने के लिए कुछ वर्षों तक इंतजार करना पड़ सकता है.


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