Maharashtra News: ‘असली’ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) पर फैसला करने को लेकर चुनाव आयोग (Elections Commission) की सुनवाई होने वाली है. इसके पहले शरद पवार (Sharad Pawar) की अगुवाई वाले धड़े ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी में शक्ति प्रदर्शन किया. पवार ने चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ की परवाह किए बिना अपनी पार्टी की जीत का भरोसा जताया. 

शरद पवार (82) ने एनसीपी की विस्तारित कार्यसमिति की बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें उनके नेतृत्व पर विश्वास व्यक्त किया गया और ‘कुछ उन निर्वाचित प्रतिनिधियों की हरकतों की कड़ी निंदा की गई जो पार्टी से अलग हो गए.’ यह बैठक ऐसे समय हुई है, जब एक दिन बाद चुनाव आयोग पार्टी के नाम और निशान पर शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के प्रतिद्वंद्वी धड़ों के दावों पर सुनवाई करने वाला है. आज की बैठक में पारित किए गए प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘पूरी पार्टी फिर से शरद पवार के नेतृत्व में अटूट विश्वास जाहिर करती है और उनके मार्गदर्शन में देश में भावी चुनावों की तैयारी कर रही है.’’

मैंने कई चिह्नों पर लड़ा चुनाव- शरद पवारशरद पवार ने कहा, ‘‘देश का मूड बदल रहा है. आम आदमी होशियार है.... यदि चुनाव चिह्न बदल भी जाता है तो भी लोग अपना इरादा आसानी से नहीं बदलते हैं.’’ वरिष्ठ नेता ने कहा कि वह 1967 में ‘बैलों के जोड़े’ निशान पर अपना पहला चुनाव लड़ा था. उन्होंने कहा कि तीन साल बाद वह ‘चरखा’ निशान पर चुनाव लड़े और जीत गए. पवार ने कहा कि उन्होंने ‘गाय और बछड़ा’, ‘हाथ’, और ‘घड़ी’ के चिह्नों पर चुनाव लड़ा है.

हमारा प्रस्ताव करारा जवाब है- पवारशरद पवार ने कहा, ‘‘हमारा प्रस्ताव उन लोगों के लिए करारा जवाब है, जो असली एनसीपी होने का दावा कर रहे हैं.’’ सन् 1969 में कांग्रेस में हुए विभाजन तथा कांग्रेस (आई) और कांग्रेस (ओ) के बनने से अपनी पार्टी की वर्तमान स्थिति की तुलना करते हुए शरद पवार ने कहा कि मतदाताओं ने इंदिरा गांधी का खुले दिल से समर्थन किया, जिनके संगठन को बाद में असली कांग्रेस के रूप में स्वीकार किया गया.

चुनाव चिह्न बदलने से नहीं बदलता इरादा- पवारएनसीपी चीफ ने कहा , ‘‘चुनाव चिह्न महत्वपूर्ण कारक हैं, लेकिन देश में लोकतंत्र इतना विकसित हो गया है कि चुनाव चिह्न बदल जाने पर भी लोग अपना इरादा नहीं बदलते.’’ विस्तारित कार्यसमिति की बैठक में नेताओं ने पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल को विभाजन के लिए निशाने पर लिया, लेकिन वे अजित पवार को लेकर शांत रहे. 

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