Delhi Ordinance Bill: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के संस्थापक और राज्यसभा सदस्य शरद पवार (Sharad Pawar) ने बुधवार (2 जुलाई) को कहा कि, दिल्ली सेवा अध्यादेश के स्थान पर लाए गए विधेयक पर सरकार के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए. केंद्र सरकार ने मंगलवार (1 जुलाई) को विपक्षी सदस्यों के जोरदार विरोध के बीच दिल्ली सेवा अध्यादेश (Delhi Ordinance Bill) के स्थान पर लोकसभा में विधेयक पेश किया था. विपक्षी दलों ने इस विधेयक को 'लोकतंत्र की हत्या' करार दिया है.


संसद में बीजेपी को घेरने की रणनीति बनाने के लिए विपक्षी दलों की बैठक के दौरान शरद पवार ने कहा कि दिल्ली सेवा अध्यादेश के स्थान पर लाए गए विधेयक पर सरकार के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में मंगलवार (1 जुलाई) को उक्त विधेयक पेश किया. यह विधेयक लागू होने पर उच्चतम न्यायालय के उस आदेश को पलट देगा, जिसमें दिल्ली की निर्वाचित सरकार को राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं पर अधिकार दिये गये थे.


विधेयक को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार में तनातनी


यह विधेयक कानून बनने के बाद उपराज्यपाल को यह अधिकार प्रदान करेगा कि दिल्ली सरकार के अधिकारियों के तबादले और तैनाती में अंतिम निर्णय उनका ही होगा. कैबिनेट ने 25 जुलाई को इस विधेयक को मंजूरी दी थी. विधेयक को लेकर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और केंद्र के बीच तनातनी है. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को केंद्र के इस फैसले पर देश प्रमुख विपक्षियों पार्टियों ने सहयोग देने का आश्वासन दिया. 


क्या यहा पूरा मामला?


बता दें कि बीते 11 मई को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पांच सदस्यीय पीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया था कि दिल्ली में जमीन, पुलिस और कानून- व्यवस्था को छोड़कर बाकी प्रशासनिक फैसले लेने के लिए दिल्ली की सरकार स्वतंत्र होगी. जिसमें दिल्ली में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियो की पोस्टिंग- ट्रांसफर भी शामिल था. इससे पहले अधिकारियों के और कर्मचारियो की पोस्टिंग- ट्रांसफर उपराज्यापल के नियंत्रण था. इस फैसले के हफ्ते भर बाद 19 मई को केंद्र सरकार ने गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली ऑर्डिनेंस 2023 के जरिये ये अधिकार दोबार उपराज्यपाल को दे दिया. 


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