Karnataka-Maharashtra Border: महाराष्ट्र में सांगली (Sangli) जिले के जत तालुका में ग्रामीणों के एक समूह ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Karnataka CM Basavaraj Bommai) के समर्थन में नारे लगाए और आरोप लगाया कि दशकों से उन्हें पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल रही हैं. बोम्मई द्वारा जत तालुका और अक्कलकोट तथा सोलापुर के कुछ ‘‘कन्नड़-भाषी’’ क्षेत्रों को अपने राज्य में मिलाए जाने संबंधी दावा करने के बाद महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा (Karnataka-Maharashtra Border) मुद्दे पर नए सिरे से बहस छिड़ गई है.


महाराष्ट्र के अधिकारियों के खिलाफ रैली
कर्नाटक की सीमा से सटे जत तालुका के तिकोंडी गांव के निवासियों ने कहा कि उन्होंने पेयजल, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवाएं उपलब्ध नहीं कराने के लिए शनिवार को महाराष्ट्र के अधिकारियों के खिलाफ रैली की. रैली में भाग लेने वाले सोमलिंग चौधरी ने कहा, ‘‘हम 40 से अधिक गांवों में पानी की समस्या का सामना कर रहे हैं. हमें म्हैसल परियोजना से पानी का वादा किया गया है. हालांकि, चार दशकों के बाद भी हमें पानी नहीं मिला.’’


बता दें कि दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद गहरा गया है. कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई की ओर से सांगली जिले के 40 गांवों पर अपना दावा किया गया था. इसपर  विवाद खड़ा हो गया है. कर्नाटक के सीएम के बयान के बाद महाराष्ट्र में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं.


10-15 फीसदी लोगों की भाषा मराठी-नागरिक
चौधरी ने दावा किया, ‘‘ जत तालुका के 40 गांवों में सुविधाओं का घोर अभाव है. हमारे पास पहली से चौथी कक्षा तक का एक स्कूल है, लेकिन केवल एक शिक्षक है. यहां चिकित्सा केंद्रों में डॉक्टर नहीं हैं. गांव में सिर्फ 10-15 फीसदी लोगों की मूल भाषा मराठी है. हालांकि, वे भी मराठी नहीं बोलते हैं.’’ चौधरी ने कहा, ‘‘अगर महाराष्ट्र सरकार हमें पानी समेत सभी सुविधाएं मुहैया कराती है तो हम उनके साथ (कर्नाटक राज्य) जाने की जिद क्यों करेंगे.’’


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