महाराष्ट्र की राजनीति से एक बड़ी खबर सामने आ रही है. कांग्रेस के दिवंगत नेता राजीव सातव की पत्नी और विधान परिषद की विधायक डॉ. प्रज्ञा सातव ने कांग्रेस को छोड़कर आधिकारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी (BJP) में प्रवेश कर लिया है.

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महाराष्ट्र में जिला परिषद चुनाव से ठीक पहले प्रज्ञा सातव के इस फैसले से हिंगोली जिले सहित पूरे महाराष्ट्र में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में हलचल मच गई है. डॉ. प्रज्ञा सातव ने आज (18 दिसंबर) मुंबई में विधानभवन सचिव जितेंद्र भोले से मुलाकात कर अपनी विधान परिषद सदस्यता से औपचारिक इस्तीफा सौंपा. 

इसके बाद उन्होंने मुंबई स्थित बीजेपी के पार्टी कार्यालय में वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में बीजेपी में प्रवेश किया. इस अवसर पर बीजेपी नेता चंद्रशेखर बावनकुळे और रविंद्र चव्हाण उपस्थित थे. गौरतलब है कि डॉ. प्रज्ञा सातव का कार्यकाल वर्ष 2030 तक था, इसके बावजूद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल होने का निर्णय लिया, जिससे राजनीतिक हलकों में आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है.

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चंद्रशेखर बावनकुले ने क्या कहा?

प्रज्ञा सातव के पार्टी प्रवेश के दौरान बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने विस्तृत संबोधन किया. उन्होंने बताया कि डॉ. प्रज्ञा सातव ने बीजेपी में प्रवेश क्यों किया. उन्होंने कहा कि हिंगोली जिला कई वर्षों से विकास से कुछ हद तक वंचित रहा है. स्वर्गीय राजीव सातव ने इस जिले के लिए बड़े सपने देखे थे. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘विकसित भारत’ और ‘विकसित महाराष्ट्र’ की संकल्पना के तहत हिंगोली को अग्रणी स्थान दिलाने के उद्देश्य से प्रज्ञा सातव ने बीजेपी में आने का निर्णय लिया है. समृद्धि महामार्ग से जिले को गति मिली है और अब राजनीतिक समर्थन मिलने से विकास और तेज होगा, ऐसा बावनकुळे ने कहा.

इस बीच, राजीव सातव को कांग्रेस के अत्यंत प्रभावशाली नेता और राहुल गांधी का करीबी माना जाता था. वर्ष 2014 की मोदी लहर में भी महाराष्ट्र से चुने गए दो कांग्रेस सांसदों में वे एक थे. ऐसे दिग्गज नेता की पत्नी और स्वयं दो बार विधायक रह चुकी प्रज्ञा सातव का बीजेपी में जाना, हिंगोली में कांग्रेस के लिए अब तक का सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है.

कौन हैं प्रज्ञा सातव? 

डॉ. प्रज्ञा सातव, कांग्रेस के दिवंगत राष्ट्रीय नेता राजीव सातव की पत्नी हैं और हिंगोली जिले की राजनीति में उनका खासा प्रभाव रहा है. राजीव सातव के निधन के बाद साल 2021 में शरद रणपिसे की खाली हुई सीट पर वे पहली बार विधान परिषद के लिए निर्विरोध चुनी गई थीं. इसके बाद 2024 में कांग्रेस ने उन्हें दोबारा मौका दिया और वे दूसरी बार विधायक बनीं.

महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी की उपाध्यक्ष के रूप में भी प्रज्ञा सातव ने जिम्मेदारी निभाई है. पिछले दो दशकों से वे राजीव सातव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर किसानों और मजदूरों के मुद्दों पर काम करती रही हैं. गांधी परिवार के विश्वस्त परिवार की सदस्य के रूप में पहचानी जाने वालीं प्रज्ञा सातव ने 2030 तक का कार्यकाल अभी बचा ही था, लेकिन उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा देकर बीजेपी का हाथ थाम लिया है.