Maharashtra Latest News: महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर जारी तनातनी के बीच मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने शनिवार (5 अप्रैल) को पार्टी के कार्यकर्ताओं के नाम से खुला पत्र लिखा. अपने पत्र में उन्होंने पार्टी के कार्यकर्ताओं को महाराष्ट्र सैनिक संबोधित करते हुए सस्नेह जय महाराष्ट्र बोला है. साथ मराठी भाषा को लेकर सीएम देवेंद्र फडणवीस द्वारा दिए गए बयानों पर निशाना साधा है. 

राज ठाकरे ने अपने पत्र में आगे लिखा, "इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सरकार की है. रिजर्व बैंक का नियम उन्हें पता है और उस नियम पर अमल कराना सरकार का कर्तव्य है." 

उन्होंने आगे कहा, "शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि हम मराठी भाषा के नाम पर किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दे सकते. हम भी ऐसा कुछ नहीं चाहते, लेकिन अगर आप कानून के रक्षक हैं, तो क्या रिजर्व बैंक के नियम की कार्यान्वयन करना भी आपका काम नहीं है?" 

मनसे कार्यकर्ताओं से की आंदोलन रोकने की अपील 

राज ठाकरे ने सीएम से अपील की है कि बैंकों और अन्य संस्थाओं से मराठी का सम्मान कराएं. फिर हम कानून हाथ में नहीं लेंगे. यह निश्चित है. इस बात को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र सैनिकों, फिलहाल आंदोलन रोक दें, लेकिन इस मुद्दे पर अपना ध्यान न हटने दें! 

महायुति सरकार को दी ये चेतावनी 

मनसे प्रमुख ने ठाकरे ने कहा कि सरकार को भी मेरा संदेश है कि अगर फिर कहीं नियमों का पालन नहीं किया गया और मराठी आदमी को हल्के में लिया गया या अपमानित किया गया, तो फिर वहां मेरे महाराष्ट्र सैनिक जरूर जाएंगे और उनसे बातचीत करेंगे.

राज ठाकरे के पत्र में और क्या है?

अपने पत्र में राज ठाकरे ने पार्टी के कार्यकर्ताओं से कहा, "महाराष्ट्र में मराठी के मुद्दे के लिए आपने फिर से जो एक जोरदार आवाज उठाई, उसके लिए आपका दिल से अभिनंदन. मैंने गुढीपाडवा के रैली में आपको आदेश दिया था कि महाराष्ट्र में बैंकों में मराठी में लेनदेन हो रहा है या नहीं, यह देखें और अगर नहीं हो रहा है तो उस बैंक के प्रशासन को इस बारे में जानकारी दें." 

दूसरे दिन से ही आप लोगों ने महाराष्ट्र के विभिन्न बैंकों में जाकर मराठी में लेनदेन का सभी से अपील की. इस मुहिम को अच्छा रिस्पांस मिला. अब मराठी भाषा और मराठी को कोई भी हल्के में नहीं ले सकता. यह संदेश लोगों में इस मुहिम से गया है. इससे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की संगठनात्मक ताकत भी दिखी. 

अब इस आंदोलन को रोकने में कोई हर्ज नहीं है, क्योंकि हमने इस विषय में पर्याप्त जागरूकता फैलाई है, और क्या हो सकता है, इसकी एक झलक भी दिखाई है. अब मराठी जनता को खुद आग्रह करना चाहिए और अगर हमारी मराठी समाज ने ही चुप्पी साधी तो फिर ये आंदोलन किसके लिए करना चाहिए?