Maharashtra News: शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी द्वारा विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के समक्ष दायर अयोग्यता याचिकाओं ने साबित कर दिया है कि उनके पास केवल 11 विधायकों का समर्थन बचा है, जबकि 41 विधायकों ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार को समर्थन दिया है. अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत करके जुलाई में बीजेपी से हाथ मिलाया था. एनसीपी के भीतर विद्रोह के दो महीने से अधिक समय के बाद दोनों पक्ष अंततः प्रत्येक पक्ष का समर्थन करने वाले विधायकों की संख्या की पुष्टि करने में कामयाब रहे हैं.


शरद पवार के साथ इतने विधायक?
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, जो लोग इस समय शरद पवार के साथ खड़े हैं उनके नाम हैं- जयंत पाटिल, जितेंद्र आव्हाड, रोहित पवार, अनिल देशमुख, राजेश टोपे, बालासाहेब पाटिल, संदीप क्षीरसागर, सुनील भुसारा, सुमंताई पाटिल, प्राजक्त तनपुरे और अशोक पवार हैं.


7 सितंबर को, शरद के नेतृत्व वाली एनसीपी ने एक तीसरा पत्र प्रस्तुत किया, जिस पर विधायक जितेंद्र आव्हाड ने हस्ताक्षर किया था. इसमें 11 और विधायकों का नाम था, जिसमें अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से उन्हें अयोग्य घोषित करने का अनुरोध किया गया था. यह पहले से प्रस्तुत 29 नामों के अतिरिक्त था.


उन्होंने कहा कि नौ एनसीपी विधायकों की पहली सूची (जिन्होंने 2 जुलाई को मंत्री पद की शपथ ली थी) नार्वेकर को उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग करते हुए सौंपी गई थी. बाद में, 20 और नामों के साथ एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल द्वारा एक और पत्र प्रस्तुत किया गया. पार्टी ने तब चार एमएलसी के नाम भी घोषित किए थे, जिनमें सतीश चव्हाण, विक्रम काले, अनिकेत तटकरे और अमोल मिटकारी शामिल हैं. आव्हाड के पत्र में, पार्टी ने एक और एमएलसी, रामराजे नाइक निंबालकर का नाम लिया.


अजित गुट ने एनसीपी की पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा करते हुए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है. इसी को लेकर चुनाव आयोग ने शरद पवार गुट से जवाब मांगा था. शरद पवार गुट के सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने अपना जवाब दाखिल करने के लिए करीब 14 दिनों की मोहलत मांगी थी. शरद पवार गुट के एक नेता ने कहा, “अयोग्यता याचिका में अपना नाम जमा करने से पहले 11 विधायकों को अतिरिक्त समय देना था. उनके नाम अजित पवार के पक्ष में जाने के बाद जोड़े गए.''


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