Pune Porsche Car Accident: पुणे पोर्शे कार हादसे में दो पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गाज गिरी है. पुलिस इंस्पेक्टर राहुल जगदले और असिसटेंट पुलिस इंस्पेक्टर विश्वनाथ टोडकरी को निलंबित कर दिया गया है. ये दोनों यरवदा पुलिस स्टेशन पर तैनात थे. इन्होंने इस घटना की जानकारी वायरलेस कंट्रोल रूम को नहीं दी थी, जिसके चलते उन पर एक्शन हुआ है. सीपी पुणे अमितेश कुमार ने इसकी जानकारी दी है. रविवार (19 मई) को तेज रफ्तार पोर्शे कार ने बाइक सवार को पीछे से टक्कर मार दी थी, जिससे दो इंजीनियरों की जान चली गई थी. 


उधर, पुणे की एक अदालत ने शुक्रवार को शहर के कल्याणी नगर इलाके में पोर्शे कार दुर्घटना में शामिल 17 वर्षीय लड़के के पिता विशाल अग्रवाल और मामले के पांच अन्य आरोपियों को 7 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. अभियोजन पक्ष ने आगे की जांच के लिए उनकी पुलिस हिरासत बढ़ाने की मांग की थी.


आरोपियों को कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेजा


अदालत ने नाबालिग आरोपी के पिता अग्रवाल और दो शराब परोसने वाले होटल के मालिक और कर्मचारियों सहित अन्य को न्यायिक हिरासत में भेज दिया. जहां बिल्डर के बेटे ने अपनी पोर्श कार से मोटरसाइकिल पर सवार दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को कुचलने से पहले कथित तौर पर शराब पी थी. पुणे के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने दिन में पहले कहा था कि ऐसा दिखाने की कोशिश की गई कि 19 मई की तड़के दुर्घटना के समय नाबालिग कार नहीं चला रहा था और कोई वयस्क व्यक्ति कार चला रहा था.


आरोपियों को उनकी पुलिस हिरासत समाप्त होने के बाद एडिशनल सेशन जज एसपी पोंक्षे के सामने पेश किया गया. अन्य आरोपी कोसी रेस्तरां के मालिक नमन भुटाडा, इसके मैनेजर सचिन काटकर हैं. इसके अलावा ब्लैक क्लब के मैनेजर संदीप सांगले और उसके कर्मचारी जयेश गावकर और नितेश शेवानी है. रियल एस्टेट डेवलपर अग्रवाल को जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम की धारा 75 और 77 के तहत गिरफ्तार किया गया था.


आरोपियों के खिलाफ कई और धाराएं लगी


इससे पहले पुणे पुलिस ने बड़ा फैसला लेते हुए आरोपी के पिता, बार मालिकों और मैनेजरों के खिलाफ दर्ज FIR में आईपीसी की धारा 420 के साथ-साथ महाराष्ट्र निषेध अधिनियम की धारा 65 (ई) और 18 भी जोड़ी. पुणे के पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया कि एक अन्य प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए अतिरिक्त ब्लड नमूने लिए गए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नमूने और डीएनए रिपोर्ट दोनों एक ही व्यक्ति के थे. प्रारंभिक एफआईआर में उन्होंने कहा, धारा 304 ए (लापरवाही से मौत) लागू की गई, लेकिन इसे उसी दिन धारा 304 के साथ संशोधित किया गया.


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