Guillain Barre Syndrome: महाराष्ट्र के पुणे में गुइलेन बैरे सिंड्रोम के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है. हाल ही में इस बीमारी के चलते एक मौत की भी खबर आ रही है. आशंका है कि यह मौत जीबीएस की वजह से ही हुई है. वहीं, 28 नए केस सामने आने के साथ पुणे में जीबीएस के मामले 101 तक पहुंच गए हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मेडिकल अधिकारी ने जानकारी दी है कि संदिग्ध रूप से जीबीएस के चलते एक मरीज की मौत हो गई है. हालांकि, उन्होंने इस मामले में ज्यादा विस्तार से बात नहीं की. 

बच्चे और बूढ़े मरीज ज्यादागुइलेन बैरे सिंड्रोम एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसका इलाज संभव है. फिलहाल, पुणे में 16 मरीज वेंटिलेटर पर हैं. इन मरीजों में 19 बच्चे हैं, जिनकी उम्र 9 साल से कम है. वहीं, 50 से लेकर 83 साल की उम्र के 23 मरीज हैं. 

पुणे में कब आया था GBS का पहला मामला?बताया जा रहा है कि 9 जनवरी को गंभीर बीमार एक व्यक्ति को अस्पताल में एडमिट किया गया था. उसका जीबीएस टेस्ट पॉजिटिव आया, जिसके चलते वह पुणे का पहला केस बना. टेस्ट के लिए मरीजों से लिए गए कुछ जैविक नमूनों में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया का पता चला है. सी जेजुनी दुनिया भर में जीबीएस के लगभग एक तिहाई मामलों का कारण बनता है और सबसे गंभीर इंफेक्शन का भी जिम्मेदार है.

गुइलेन-बैरी सिंड्रोम क्या है?गुइलेन-बैरी सिंड्रोम या जीबीएस यह एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर की इम्यूनिटी गलती से अपने ही पेरिफेरेल नसों पर हमला कर देती है. इससे मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्न हो जाना औक पैरालाइसिस हो सकता है. यह आमतौर पर शुरुआती इलाज से ही इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है और 2-3 हफ्ते के अंदर रिकवरी भी देखने को मिलती है. ज्यादातर मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं. हालांकि, कुछ मरीजों में बाद में भी कमजोरी की शिकायत बनी रहती है.

यह भी पढ़ें: NCP नेता बाबुराव चांदेरे के खिलाफ केस दर्ज होने पर बोले अजित पवार, 'हमारी पार्टी...'