Cyber Crime News: पुणे अब साइबर क्राइम का हब बनने की ओर बढ़ने लगा है. क्योंकि अकेले पुणे में पिछले 5 महीने में डिजिटल अरेस्ट के 21 मामले सामने आए हैं. इन 21 मामलों में कुल 9 करोड़ 21 लाख रुपए ठगे गए हैं. इसलिए आंकड़े बताते हैं कि पुणे में साइबर जालसाजों का बोलबाला है. जालसाज उन्हें कॉल करके या वीडियो कॉल करके उनसे पैसे ऐंठ रहे हैं, कह रहे हैं कि आपका सिम ब्लॉक हो जाएगा.

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साथ ही आपके नाम से मनी लॉन्ड्रिंग की गई है और आपके नाम पर गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है. उन्हें यह भी धमकाया जाता है कि अगर हमने अपना वीडियो कॉल काटा या पुलिस को सूचना दी तो हम आपके घर आकर उन्हें गिरफ्तार कर लेंगे. प्रोफेसर, शिक्षक जैसे शिक्षित नागरिक ही नहीं, बल्कि आईटी क्षेत्र में काम करने वाले, इंजीनियर, सभी इस डिजिटल गिरफ्तारी का शिकार बन रहे हैं. 

डिजिटल गिरफ्तारी क्या है?

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-कॉल करने वाले साइबर अपराधी खुद को सीबीआई एजेंट, आयकर अधिकारी या कस्टम एजेंट, ईडी, एनसीबी या पुलिस का एजेंट बताते हैं.

-फोन कॉल के जरिए व्यक्ति से संपर्क करके, वे संबंधित व्यक्ति को व्हाट्सएप या स्काइप जैसे प्लेटफॉर्म के जरिए वीडियो संचार के लिए धमकाते हैं.

-वे वित्तीय धोखाधड़ी कर चोरी या अन्य कानूनी उल्लंघन जैसे कारणों का हवाला देते हुए 'डिजिटल गिरफ्तारी' वारंट की धमकी देते हैं.

-वारंट को रद्द करने या कथित आरोपों से मुक्त करने के लिए पैसे की मांग की जाती है.

-आपका नंबर मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ा पाया गया है, माना जाता है कि आपके खाते से आतंकवादियों की मदद की गई है, आपको ड्रग्स वाला पार्सल मिला है, आपको गिरफ्तार करने की धमकी दी जाती है और फिर पैसे ऐंठ लिए जाते हैं.

ऐसे में लगातार साइबर पुलिस भी डिजिटल अरेस्ट को लेकर जागरूकता फैला रही है और कारवाई भी जारी है बावजूद इसके साइबर फ्रॉड बेखौफ है.