कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण के द्वारा एक आरोप ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है. उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव की मतगणना स्थगित होने से सरकार को ईवीएम में छेड़छाड़ करने का पर्याप्त अवसर मिल जाएगा. उनका कहना है कि जब मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने सभी स्थानीय निकाय चुनावों की मतगणना 3 दिसंबर से बढ़ाकर 21 दिसंबर करने का आदेश दिया है, तो इस अतिरिक्त अवधि का दुरुपयोग हो सकता है. 

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चव्हाण का यह आरोप सीधे तौर पर चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है और मतदाताओं के बीच भरोसे की कमी को उजागर करता है. पुणे में 3 दिसंबर को दिए इस बयान में उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस फैसले के चलते लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता प्रभावित होती दिख रही है.

पहले चरण के मतदान में दिखी अच्छी भागीदारी

महाराष्ट्र के 263 नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों में पहले चरण के मतदान के दौरान अच्छी खासी भागीदारी देखने को मिली और कुल 67.63 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. पीटीआई के अनुसार, यह मतदान प्रतिशत दिखाता है कि स्थानीय स्तर पर जनता की रुचि और जागरूकता अभी भी मजबूत है, लेकिन इसके बाद उत्पन्न राजनीतिक विवाद ने माहौल गर्म कर दिया है. धुले जिले में एक स्थानीय निकाय के अध्यक्ष और पार्षद का निर्विरोध चुना जाना भी चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि यह राजनीतिक समीकरणों में एकतरफा स्थिति का संकेत देता है. 

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क्या है उच्च न्यायालय के निर्देश?

मुंबई उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार अब महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग को मतगणना 21 दिसंबर को करानी होगी. अदालत का निर्णय प्रशासनिक और तकनीकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया बताया जा रहा है, हालांकि विपक्षी दलों ने इस विलंब पर सख्त आपत्तियां जताई हैं. उनका कहना है कि जब मतदान एक निश्चित दिन पर शांतिपूर्ण ढंग से हो चुका है, तो मतगणना को लगभग तीन सप्ताह तक टालना कई तरह की शंकाओं को जन्म देता है. अदालत का तर्क है कि प्रक्रिया को सुचारू रखने और सभी दस्तावेजी औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए यह समय जरूरी है, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से यह निर्णय विवादों में घिर गया है और इसका असर जनमानस में भी दिखाई दे रहा है.

इसी संदर्भ में पृथ्वीराज चव्हाण ने सबसे गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ईवीएम वाले बक्से लगभग 16 से 17 दिनों तक गोदामों में रखे रहेंगे और इस अवधि में उनके साथ छेड़छाड़ करना आसान हो सकता है. उन्होंने दावा किया कि सरकार को इस दौरान पूरी छूट मिल जाएगी और यह लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक स्थिति पैदा कर सकता है. 

उनके अनुसार लंबे समय तक मशीनों का सुरक्षित रहना आवश्यक है, वरना चुनावी प्रक्रिया पर जनता का विश्वास टूट सकता है. चव्हाण ने कहा कि पहले ही आम लोगों में चुनावी प्रणाली को लेकर संदेह बढ़ रहा है और यदि ऐसे फैसले पारदर्शी ढंग से न लिए जाएं तो यह भ्रम और गहरा हो सकता है. उन्होंने चुनाव आयोग से पूरी प्रक्रिया को और मजबूत और भरोसेमंद बनाने की अपील की है ताकि मतदाता बिना किसी शंका के मतदान और परिणाम दोनों पर विश्वास कर सकें.