प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (21 सितंबर) को राष्ट्र को संबोधित करते हुए जीएसटी सुधार के लाभ गिनवाए. वहीं इस पर अब कांग्रेस की प्रतिक्रिया सामने आई है. महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि एक बार फिर अपनी आदत के अनुसार जीएसटी दरों में कटौती का श्रेय लेने की कोशिश की.

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हर्षवर्धन सपकाल ने कहा, "साल 2017 में पीएम मोदी ने ही भारी-भरकम दरों के साथ जीएसटी लागू किया था, जिससे देश के उद्योग, व्यापारी और आम नागरिक परेशान हुए और उनकी व्यापक आर्थिक लूट हुई. वही पीएम मोदी रविवार को दर कम करने के नाम पर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं. 

'आठ साल लूट की जिम्मेदारी लेनी चाहिए'

उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों में जीएसटी संग्रह दोगुना बढ़कर 22 लाख करोड़ पर पहुंचा है और इसका सबसे अधिक बोझ उपभोक्ताओं और छोटे कारोबारियों पर पड़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब दरों में कटौती का श्रेय लेते हैं, तो उन्हें आठ साल तक बढ़े हुए दर से की गई लूट की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए.

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'पेट्रोल-डीजल के दाम पर अभी भी चुप'

इस संदर्भ में प्रदेशाध्यक्ष ने आगे कहा, "राहुल गांधी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि पीएम मोदी ने जीएसटी को 'गब्बर सिंह टैक्स' में बदल दिया है. दरों में कमी कर जनता की लूट बंद करो, यह मांग भी उन्होंने लगातार की थी. लेकिन उस पर निर्णय लेने में पीएम मोदी ने कई साल देर की. पेट्रोल-डीजल के दामों पर तो पीएम मोदी आज भी चुप हैं." 

'स्वदेशी का उपदेश देने वाले विदेशी चीजों का कर रहे इस्तेमाल'

उन्होंने कहा, "जनता को स्वदेशी का उपदेश देने वाले प्रधानमंत्री खुद विदेशी कारें, घड़ियां, पेन और फोन का इस्तेमाल करते हैं. 'आत्मनिर्भरता' का पाठ पढ़ाते समय वे खुद ऐशोआराम की जिंदगी जीते हैं. उन्होंने आज कहा कि यह 'बचत महोत्सव' है, तो क्या पिछले आठ साल 'लूट महोत्सव' चल रहा था? यह भी उन्हें बताना चाहिए."

'भाषण में थी आत्मविश्वास की कमी'

हर्षवर्धन सपकाल ने ये भी कहा, "उनके आज के भाषण में उत्साह और आत्मविश्वास की कमी थी. शायद देशभर में गूंजने वाले 'वोट चोर, गद्दी छोड़' के नारे और जनता में बढ़ती नाराजगी ही उसका प्रतिबिंब रही होगी. प्रधानमंत्री को जनता को गुमराह करने वाले भाषणों के बजाय महंगाई, बेरोजगारी, खेती और किसानों की समस्याओं को हल करने का ईमानदार प्रयास करना चाहिए."