केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के प्रमुख और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सदानंद वसंत दाते को तत्काल प्रभाव से उनके मूल कैडर महाराष्ट्र भेजने की मंजूरी दे दी है. यह फैसला सोमवार (22 दिसंबर) को लिया गया और इसे महाराष्ट्र के अगले पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति से जोड़कर देखा जा रहा है.
मौजूदा डीजीपी रश्मि शुक्ला का कार्यकाल 31 दिसंबर को समाप्त हो रहा है, ऐसे में दाते का नाम सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है. गौर करने वाली बात ये है कि महाराष्ट्र में बीएमसी के आगामी चुनाव जनवरी में होने है, ऐसे में राज्य की कानून व्यवस्था और सुरक्षा नेतृत्व के लिहाज से इसे बेहद अहम माना जा रहा है.
केंद्र का आदेश और डीजीपी नियुक्ति की संभावनाएं
केंद्रीय मंत्रिमंडल की अपॉइंटमेंट कमेटी यानी ACC ने गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए सदानंद वसंत दाते की समयपूर्व प्रतिनियुक्ति समाप्त कर दी है. आदेश में कहा गया है कि उन्हें तत्काल प्रभाव से उनके मूल कैडर महाराष्ट्र वापस भेजा जा रहा है.
इंडिया टुडे के रिपोर्ट के अनुसार, गृह मंत्रालय को महाराष्ट्र सरकार की ओर से दाते को राज्य में वापस बुलाने का औपचारिक अनुरोध मिला था. सूत्रों के मुताबिक, यदि उन्हें डीजीपी बनाया जाता है तो उन्हें दो साल का पूर्ण कार्यकाल मिल सकता है, जो दिसंबर 2027 तक रहेगा.
कौन है सदानंद दाते?
महाराष्ट्र कैडर के 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी सदानंद वसंत दाते का जीवन संघर्ष और प्रेरणा की मिसाल रहा है. एक साधारण परिवार में जन्मे दाते ने अपने बचपन में अखबार बांटकर पढ़ाई का खर्च निकाला. उनकी मां घरेलू सहायिका के रूप में काम करती थीं. सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने शिक्षा और अनुशासन को प्राथमिकता दी और भारतीय पुलिस सेवा तक पहुंचे. उनका यह सफर पुलिस बल के युवा अधिकारियों के लिए प्रेरक माना जाता है.
लंबा अनुभव और 26/11 की बहादुरी
अपने करियर में सदानंद दाते ने मुंबई पुलिस, सीबीआई और राज्य व केंद्र की कई अहम इकाइयों में जिम्मेदार पद संभाले हैं. वह महाराष्ट्र एंटी टेररिज्म स्क्वॉड के प्रमुख रह चुके हैं और 2020 में गठित मीरा-भायंदर-वसई-विरार पुलिस कमिश्नरेट के पहले आयुक्त भी रहे. मुंबई पुलिस में जॉइंट कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर और क्राइम ब्रांच जैसे संवेदनशील पदों पर उन्होंने सेवाएं दीं. साल 2023 में उन्हें एनआईए का महानिदेशक नियुक्त किया गया था.
26/11 मुंबई आतंकी हमलों के दौरान आतंकियों से सीधे मुकाबला करने और कामा एंड अल्ब्लेस अस्पताल से महिलाओं व बच्चों को सुरक्षित निकालने में उनकी भूमिका ऐतिहासिक रही. इसी अद्वितीय साहस के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक गैलेंट्री से सम्मानित किया गया था.