Maharashtra MLAs Disqualification: महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर (Rahul Narwekar) ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने गुरुवार को कहा कि उप मुख्यमंत्री अजित पवार (Ajeet Pawar) नीत एनसीपी का गुट असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) है, और संविधान में मौजूद दल-बदल रोधी प्रावधानों का इस्तेमाल आंतरिक असहमति को दबाने के लिए नहीं किया जा सकता.


अजित पवार और उनके चाचा शरद पवार द्वारा एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं को खारिज करते हुए विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) ने उल्लेख किया कि अजित खेमा ने जब जुलाई 2023 में महाराष्ट्र की शिवसेना-बीजेपी सरकार में शामिल होने का फैसला किया था, उस समय पार्टी के 53 में से 41 विधायक उनके साथ थे. नार्वेकर ने कहा कि इसतरह जब दोनों खेमे उभरे थे उस वक्त अजित खेमा ‘असली राजनीतिक दल’ था.


विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एनसीपी-शरदचंद्र पवार पार्टी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि यह शिवसेना में अयोग्यता मामले में दिये नार्वेकर के पूर्व के फैसले का ही दोहराव है. सुप्रिया सुले ने अपने पिता की बनाई पार्टी को छीनने को लेकर सत्तारूढ़ बीजेपी का परोक्ष रूप से संदर्भ देते हुए गुरुवार को ‘अदृश्य शक्ति’ पर निशाना साधा.


इससे पहले शाम में, नार्वेकर ने यहां विधानमंडल परिसर में अपने फैसले में कहा, ‘‘(विधायकों की) अयोग्यता का अनुरोध करने वाली सभी याचिकाएं खारिज की जाती हैं.’’


राहुल नार्वेकर ने कहा कि पार्टी संस्थापक शरद पवार के फैसलों पर सवाल उठाना या उनकी इच्छा की अवहेलना करना दल-बदल नहीं है बल्कि यह केवल एक आंतरिक असहमति है. उन्होंने कहा कि दल-बदल रोधी प्रावधानों से संबद्ध संविधान की 10वीं अनुसूची का इस मामले में दुरूपयोग किया गया. उन्होंने कहा कि किसी पार्टी का नेतृत्व बड़ी संख्या में सदस्यों को अयोग्य करार दिये जाने की धमकी देकर उनकी असहमति की आवाज दबाने के लिए 10वीं अनुसूची का इस्तेमाल नहीं कर सकता. फैसले में कहा गया है कि एनसीपी में (जुलाई 2023 में) हुआ घटनाक्रम स्पष्ट रूप से पार्टी की अंदरूनी असहमति थी. पिछले हफ्ते, अजित पवार नीत पार्टी को असली एनसीपी करार देने संबंधी निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद नार्वेकर का यह निर्णय आया है.


सुप्रिया सुले ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘‘आप नार्वेकर से क्या उम्मीद कर सकते हैं? उनका निर्णय हास्यास्पद है और उन्होंने शिवसेना के मामले में जो किया, उसी का यह कॉपी-पेस्ट है, जब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुटों ने अयोग्यता याचिकाएं दायर की थीं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक अदृश्य शक्ति राज्य आधारित दो महत्वपूर्ण दलों- शिवसेना और एनसीपी को खत्म करने के लिए सक्रिय रूप से कोशिश कर रही है.’’


एनसीपी संस्थापक की बेटी सुप्रिया सुले ने कहा, ‘‘हम इतने भोले भी नहीं हैं (कि एक अलग परिणाम की उम्मीद करें). पूरे देश को नियमों, कानूनों और संवैधानिक मानदंडों को दरकिनार कर चलाया जा रहा है.’’


शिव सेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने स्पीकर के फैसले की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘जिन लोगों ने एनसीपी का गठन किया था, उनका अब इससे कोई लेना-देना नहीं है. जो लोग पार्टी छोड़कर भाग गए, वे नये (पार्टी) प्रमुख हैं. ऐसा ही फैसला शिवसेना के मामले में भी किया गया. स्पीकर को एक न्यायाधिकरण के रूप में काम करना चाहिए था, लेकिन यह फैसला अप्रत्याशित नहीं है.’’


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