नवी मुंबई के सीवुड्स इलाके में एक गुजराती बोर्ड को लेकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और भारतीय जनता पार्टी के बीच टकराव की स्थिति बन गई. यह विवाद गुजरात के रापर से भाजपा विधायक वीरेंद्रसिंह बहादुरसिंह जडेजा के जनसंपर्क कार्यालय के बाहर लगाए गए साइनबोर्ड को लेकर शुरू हुआ, जो पूरी तरह गुजराती भाषा में था. स्थानीय मराठी नागरिकों की आपत्ति और मनसे की चेतावनी के बाद आखिरकार यह बोर्ड बदल दिया गया.

गुजराती बोर्ड में मराठी का न होना बना विवाद की जड़

सीवुड्स सेक्टर 42 में स्थित इस कार्यालय के बाहर लगे बोर्ड में विधायक का नाम और निर्वाचन क्षेत्र का उल्लेख केवल गुजराती भाषा में किया गया था. यह देखकर कई स्थानीय मराठी निवासियों ने नाराजगी जताई और मनसे से इसकी शिकायत की.

इसके बाद मनसे के नवी मुंबई शहर सचिव सचिन कदम और कार्यकर्ता गुरुवार को कार्यालय पहुंचे, लेकिन वह अंदर से बंद मिला.

कदम ने कहा, “यह मराठी भाषा और संस्कृति का सीधा अपमान है. महाराष्ट्र में मराठी को उचित सम्मान मिलना चाहिए. हम किसी भाषा के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन मराठी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.”

24 घंटे का दिया था अल्टीमेटम

मनसे ने इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को भी अवगत कराया और स्पष्ट कर दिया कि अगर 24 घंटे के भीतर बोर्ड में मराठी शामिल नहीं किया गया, तो वे आक्रामक कार्रवाई करने पर मजबूर होंगे. संगठन की ओर से कहा गया कि उनकी मांग सांप्रदायिक नहीं है, बल्कि मराठी भाषा के सम्मान को लेकर है.

कदम ने कहा, “हम सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ना नहीं चाहते. हमारी एकमात्र मांग यह है कि नवी मुंबई में मराठी भाषा और संस्कृति का सम्मान किया जाए ताकि सभी लोग शांति से रह सकें.”

रातोंरात बदला गया बोर्ड

मनसे की चेतावनी के कुछ ही घंटे बाद, गुरुवार देर रात संबंधित कार्यालय का बोर्ड बदल दिया गया. शुक्रवार को सचिन कदम ने पुष्टि की कि अब बोर्ड में मराठी भाषा को भी उचित स्थान दिया गया है.

इस घटनाक्रम के बाद एक बार फिर महाराष्ट्र में सार्वजनिक स्थलों पर मराठी भाषा के इस्तेमाल को लेकर बहस तेज हो गई है. मनसे का रुख स्पष्ट है कि चाहे किसी भी पार्टी का कार्यालय हो, मराठी की उपेक्षा नहीं की जाएगी.