उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की संयुक्त रैली पर शिवसेना (शिंदे गुट) के सांसद नरेश म्हस्के ने तीखा हमला बोला है. उन्होंने साफ कहा कि यह गठबंधन सिर्फ चुनावी स्वार्थ के लिए बना है, न कि किसी वैचारिक एकता या मराठी अस्मिता के लिए. नरेश म्हस्के ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ने हिंदी को थोपने का कोई फैसला नहीं लिया है. महाराष्ट्र में मराठी के खिलाफ कोई भी कुछ नहीं कह सकता. मराठी हमारी पहचान है और इसके साथ हम खड़े हैं. उन्होंने रैली को मराठी भाषा के मुद्दे से जोड़कर देखने की बजाय इसे उद्धव ठाकरे की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बताया.

'उद्धव के भाषण में मराठी जिक्र नहीं'

म्हस्के ने उद्धव ठाकरे के भाषण पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज ठाकरे ने अपने भाषण में मराठी भाषा का मुद्दा उठाया, लेकिन उद्धव ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. उन्होंने तंज कसते हुए कहा, उद्धव के भाषण में उनकी हार का दुख साफ दिखाई दे रहा था. वह मान चुके हैं कि यह गठबंधन केवल चुनावी फायदे के लिए है, न कि मराठी अस्मिता के लिए.

म्हस्के ने शिवसेना-एमएनएस की संयुक्त रैली को आगामी मुंबई और महाराष्ट्र के चुनावों के लिए रणनीति करार दिया. उन्होंने कहा, उद्धव ठाकरे को अपनी पार्टी में टूट का डर सता रहा है. उनके जिला प्रमुख, आमदार और खासदार उन्हें छोड़कर जा रहे हैं. इसलिए उन्होंने राज ठाकरे का सहारा लिया. यह रैली सिर्फ यह दिखाने के लिए थी कि राज ठाकरे उनके साथ हैं.

संजय राउत की साजिश नाकाम- म्हस्के 

म्हस्के ने शिवसेना नेता संजय राउत पर भी निशाना साधा. उन्होंने इस रैली को संजय राउत की साजिश करार दिया. उन्होंने दावा किया कि उद्धव ठाकरे इस रैली के जरिए अपनी पार्टी को एकजुट रखने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन यह प्रयास केवल चुनावी दिखावा है. म्हस्के ने जोर देकर कहा कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा और संस्कृति के खिलाफ कोई नहीं बोल सकता. उन्होंने कहा, 'मराठी के खिलाफ व्यवहार करने की किसी की हिम्मत नहीं है. हम मराठी भाषा के साथ मजबूती से खड़े हैं.' उन्होंने उद्धव ठाकरे पर आरोप लगाया कि वह मराठी के मुद्दे को केवल चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.