Mumbai News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुणे में हुए दोहरे हत्याकांड के 12 साल बाद एक बड़ा फैसला सुनाया है. दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले के 12 वर्षों बाद चार लोगों को बरी कर दिया है. इससे पहले इन चारों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट ने पाया कि इस दोहरे मर्डर केस में एक की हत्या नहीं हुई है. उन्होंने इसके पहचान में लगे इस वक्त को तमाशा करार दिया. दरअसल इस हत्या के आरोप में चारो आरोपियों को 2015 में एक ट्रायल कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.


बॉम्बे हाईकोर्ट ने चार लोगों को किया बरी
पुणे दोहरे हत्याकांड में चार लोगों को बरी करते हुए जस्टिस साधना जाधव और पीके चव्हाण की एचसी बेंच ने कहा, "उचित तत्परता" के साथ एक आईडी परेड आयोजित की जानी चाहिए. जबकि उनमें से तीन कोविड -19 आपातकालीन पैरोल मिलने तक एक दशक से अधिक समय तक सलाखों के पीछे थे. चौथे, जो 2015 में मुकदमे के दौरान जमानत पाने में कामयाब रहे ने आपातकालीन पैरोल पाने से पहले अपनी सजा के पांच साल की सेवा की.


अतिरिक्त लोक अभियोजक वीरा शिंदे ने 2016 में चार मजदूरों द्वारा उनकी दोषसिद्धि के खिलाफ दायर अपील को खारिज करने की मांग करते हुए कहा कि मार्च 2010 में, दो पीड़ित और उनका दोस्त एक खाने की गाड़ी पर खड़े थे, जब उन पर तलवारों और पत्थरों से हमला किया गया था. दोनों को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई. बाद में, पुलिस ने चार मजदूरों सहित कथित हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया-उनमें से दो की उम्र तब 20 और दो 24 वर्ष थी। पुणे की एक अदालत में मुकदमे के दौरान, 18 गवाहों से पूछताछ की गई और सात आरोपियों पर मुकदमा चलाया गया. 


चार को हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था और तीन को दिसंबर 2015 में बरी कर दिया गया था. तीन मजदूरों के वकील सत्यव्रत जोशी ने बताया कि चश्मदीद गवाह ने तब भी हस्तक्षेप नहीं किया जब उसने दावा किया कि उसके दोस्तों पर तलवारों से हमला किया जा रहा है और उसे एक खरोंच भी नहीं आई है. चौथे दोषी के वकील के बी काताके ने भी अपनी दलीलें दी. अदालत ने चारों आरोपियों को इस मामले में बरी किया है.


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