मुंबई के अंधेरी निवासी लालू कांबले की मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, इनका मानना है जितनी जिम्मेदार बीएमसी है उतनी ही जिम्मेदार इंसानियत है. 26 जुलाई दोपहर 2 बाजार 25 मिनट पर पवई के रास्ते से होकर गुजर रहे विजय के पिता लालू कांबले लैपटॉप ठीक करवाने जा रहे थे.
बरसात के चलते सड़क पर भरे गड्ढे की वजह से उनकी मौत थी वो यह समझ नहीं पाए. सड़क के गड्ढे देखकर उन्होंने किनारे से अपनी स्कूटी चलाई और गहरे गड्ढे में गाड़ी गिरी जिससे छटकर सड़क पर गिरे और डंपर ने कुचल दिया.
परिवार का यह है आरोप
परिवार का आरोप है कि पिता 40 मिनट तक सड़क पर तड़प रहे थे , लेकिन एम्बुलेंस नहीं आई. आखिरकार पुलिस की गाड़ी में अस्पताल ले जाना पड़ा, दूसरी लापरवाही जीवित लालू को पास के अस्पताल ना ले जाकर 12 किलोमीटर दूर रजवाड़ी अस्पताल ले जाया जाएगा. यानी अगर उन्हें पास के अस्पताल ले जाते तो शायद वो बच सकते थे.
मुंबई में सड़कों पर गड्ढे या गड्ढे में सड़क. इस मानसून में गड्ढे की वजह से दर्ज हुई पहली मौत; सरकारी आंकड़ों के हिसाब से काम कितना हुआ और जमीन पर क्या हकीकत इस रिपोर्ट में समझिए.
रास्तों पर गड्ढे का मुद्दा ऐसा है, कि प्रशासन दावा करता है... नंबर के आधार पर और जमीन पर आम नागरिकों को राहत शायद ही मिलती है.
मुंबई में गड्ढों की 6,231 शिकायत दर्ज की गयी
हालांकि पहले सरकारी आंकड़ों की बात कर लेते हैं, जिसके मुताबिक पिछले साल के मुकाबले मुंबई की सड़कों पर 8% गड्ढों में बढ़ोतरी हुई. साल 2024 में, जून से 17 जुलाई के बीच मुंबई में गड्ढों की 6,231 शिकायत दर्ज की गई, जिनमें से उस अवधि तक बीएमसी द्वारा 6,051 गड्ढे ठीक कर दिए गए थे.
इस वर्ष 8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है
बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने शहर को गड्ढा मुक्त बनाने के लिए 17,000 करोड़ रुपये की लागत से सड़क कांक्रीटीकरण के अपने विशाल अभियान में 49 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है, लेकिन गड्ढे न केवल मुंबई की सड़कों पर बने हुए हैं, बल्कि गड्ढों की कुल संख्या और उनकी शिकायतों में भी पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में इस वर्ष 8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.
रास्तों पर गड्ढे की संख्या को लेकर बीएमसी द्वारा साझा किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि जून और मध्य जुलाई (15 जुलाई) के बीच शहर में जून से 2024 तक 4,983 गड्ढे दर्ज किए गए थे, इसी अवधि के दौरान इस वर्ष गड्ढों की संख्या बढ़कर 5,138 हो गई.
गड्ढों की समस्या में वृद्धि तब हुई है, जब बीएमसी ने मेगा रोड कांक्रीटीकरण परियोजना का लगभग आधा (49 प्रतिशत) लक्ष्य हासिल कर लिया है, जिसे मुंबई की सड़कों को 'गड्ढा मुक्त' बनाने के लिए 2022 में लॉन्च किया गया था.
गड्ढों से संबंधित शिकायत करा सकते हैं दर्ज
जून में मानसून की गतिविधियों के तेज़ होने के साथ, शहर की सड़कों पर गड्ढे उभर आते हैं, जिससे यातायात धीमा हो जाता है और वाहन चालकों और पैदल यात्रियों को दुर्घटनाओं का खतरा रहता है. गड्ढों से ग्रस्त सड़कों की सक्रिय रूप से पहचान करने के लिए, नगर निगम शहर के विभिन्न वार्डों में दैनिक निरीक्षण के लिए अपने इंजीनियरों को भी तैनात करता है. नागरिक सोशल मीडिया, नागरिक आपदा प्रबंधन नंबर और 'माई पॉटहोल क्विक फ़िक्स' ऐप के माध्यम से भी गड्ढों से संबंधित शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
6,213 गड्ढों का समाधान और पैचिंग की गई थी
नगर निगम अधिकारियों द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, इस साल जून से 18 जुलाई तक मुंबई की सड़कों पर कम से कम 6,758 गड्ढे पाए गए हैं. कुल शिकायतों में से 3,461 शिकायत पोथोल फिक्सिट ऐप, सोशल मीडिया आदि माध्यमों से दर्ज की गई, जबकि 3,297 शिकायत बीएमसी के अपने इंजीनियरों के समूह द्वारा चिन्हित की गई. कुल शिकायतों में से, बीएमसी ने 18 जुलाई तक खराब सड़कों पर 6,213 गड्ढों का समाधान और पैचिंग की गई थी.
आंकड़ों के अनुसार 17,000 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना का लक्ष्य शहर भर में 700 किलोमीटर सड़कों का कांक्रीटीकरण करना है, जिसमें 320 किलोमीटर (700 सड़कें) को पहले चरण में कंक्रीट किया जाना है और 378 किलोमीटर (1421 सड़कें) को दूसरे चरण में कंक्रीट में पक्का करने का प्रस्ताव है. मुंबई में 2,050 किलोमीटर का सड़क नेटवर्क है, जिसमें से 1,333 किलोमीटर सड़क का पहले से ही कांक्रीटीकरण कर दिया गया हैं.
लक्ष्य का 36 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है
नगर निगम अधिकारियों द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार शेष 700 किलोमीटर की डामर और पेवर ब्लॉक सड़कें हैं,जिन्हें नगर पालिका ने मेगा ड्राइव में कांक्रीटीकरण के लिए लिया है, जिसका उद्देश्य कनेक्टिविटी बढ़ाना और गड्ढों को खत्म करना है. जून में मानसून की शुरुआत के कारण मई में कांक्रीटीकरण परियोजना का काम रुका हुआ था, इससे पहले बीएमसी ने कहा था कि उसने पहले चरण में लक्ष्य का 63 प्रतिशत हासिल कर लिया है इस बीच, दूसरे चरण में लक्ष्य का 36 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है.
हालांकि, मुंबई में कंक्रीट सड़कों की संख्या लगभग दोगुनी हो जाने के बावजूद (मई 2025 में 26% से इस वर्ष 49%), इसी अवधि में गड्ढों की संख्या में वृद्धि जारी रही है.
बीएमसी मानसून के मौसम में गड्ढों को भरने के लिए मैस्टिक का उपयोग करती है,और शहर भर में प्रतिदिन औसतन 8-10 मैस्टिक कुकर (मशीनें) लगाई जाती हैं.
2024 में मरम्मत और मानसून से पूर्व रखरखाव के लिए 25,632 मीट्रिक टन मैस्टिक की खपत हुई थी, लेकिन इस साल अब तक केवल 6,548 मीट्रिक टन का ही इस्तेमाल हुआ है. मैस्टिक कुकरों की संख्या में भी कमी आई है, जहां 2024 में प्रतिदिन अधिकतम 33 मैस्टिक कुकर लगाए गए वही इस साल इस साल यह संख्या 24 है."
बीएमसी ने अपने 227 वार्डों में से प्रत्येक के लिए एक सड़क इंजीनियर नियुक्त किया है, जो 10-15 किलोमीटर के दायरे में रोजाना निरीक्षण करेगा और 24-48 घंटों के भीतर गड्ढों की शिकायतों का समाधान करेगा. डामर और पेवर-ब्लॉक वाली जिन सड़कों का अभी तक कांक्रीटीकरण नहीं हुआ है.
किसकी है गड्ढे भरने की जिम्मेदारी?
नगर निगम अधिकारियों के अनुसार, कई सड़कें ऐसी होती हैं, जिनके मेंटेनेंस की जिम्मेदारी अलग एजेंसियों पर होती है, जिसमें मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) और महाराष्ट्र स्टेट रोड डेवलेपमेंट कॉर्पोरेशन (MSRDC) भी शामिल है.
आम नागरिकों को मतलब होता है कि उन्हें सड़क पर गड्ढे ना मिले एजेंसियों का काम होता है कि किस सड़क पर कौन मेंटेनेंस देखता है वह काम करे... इसलिए बीएमसी के अधिकारियों से कई बार जब इस सिलसिले में पूछा जाता है तो वह अपनी परेशानी बताते हुए कहते हैं कि जिस सड़क की जिम्मेदारी उनके ऊपर नहीं उसके लिए भी उन्हें ही दोषी माना जाता है.
हालांकि इसके बाद भी बीएमसी की नींद नहीं खुली है, अब बीएमसी लीपापोती करते हुए दिखाई दे रही है. मुंबई के पश्चिम एक्सप्रेस पर जल्दबाजी में गड्ढे भरते हुए देखा बीएमसी की टीम. और जब हमने बीएमसी के जनसंपर्क विभाग से इस मामले पर जानकारी मांगी तो कोई जानकारी भी नहीं दी गई.