Mumbai Crime News: मुंबई पुलिस की EOW ने न्यू इंडिया को ओपरेटिव बैंक घोटाले में 122 करोड़ रुपये के घोटाले में वांछित नौवें आरोपी पवन अमरसिंह जयसवाल को उत्तर प्रदेश के लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी को ट्रांजिट रिमांड पर लेकर EOW की टीम मुंबई ला रही है, जहां उससे पूछताछ की जाएगी. EOW के अनुसार, जयसवाल लखनऊ के गोमतीनगर एक्सटेंशन इलाके में छिपकर रह रहा था.
उसके साथी राजीव रंजन पांडेय की गिरफ्तारी के बाद से ही वह फरार था और जांच एजेंसी को गुमराह करने की कोशिश कर रहा था. मूल रूप से झारखंड के चक्रधरपुर का रहने वाला जयसवाल पहले बिल्डिंग मटेरियल सप्लाई का काम करता था, लेकिन बैंक घोटाले में उसका नाम सामने आने के बाद वह झारखंड छोड़कर लखनऊ में अपने रिश्तेदारों के पास जाकर छिप गया था.
रकम एक गिरोह के जरिये व्हाइट करने की कोशिश की गई
2 महीने की तकनीकी निगरानी और विश्लेषण के बाद आखिरकार EOW ने उसे दबोच लिया. शुरुआती जांच में सामने आया है कि जयसवाल इस घोटाले की रकम में से 3.50 करोड़ रुपये का लाभार्थी है. इस घोटाले में अब तक कई परतें खुल चुकी हैं और जयसवाल की गिरफ्तारी से कैश फ्लो को समझने में पुलिस को बड़ी मदद मिलने की उम्मीद है.
EOW की जांच से पता चला है कि घोटाले के मुख्य आरोपी हितेश मेहता ने 15 करोड़ रुपये को वैध दिखाने के लिए आरोपी अजय राठौड़, राजीव पांडेय और पवन जयसवाल की मदद ली थी. पहले यह रकम एक गिरोह के जरिये व्हाइट करने की कोशिश की गई थी, लेकिन कागजी अड़चनों के चलते वह सौदा रद्द हो गया.
करोड़ों की रकम हड़पी गई
सूत्रों ने बताया कि इसके बाद मेहता ने सीधे अजय राठौड़ से संपर्क किया. राजीव पांडेय और अजय राठौड़ ने 22 करोड़ वापस लौटाने का वादा कर 15 करोड़ लिए और आपस में बांट लिए. राठौड़ 7.50 करोड़ लेकर राजस्थान फरार हो गया, जबकि पांडेय ने अपने हिस्से से 3.50 करोड़ रुपये पवन जयसवाल को दिए.
अब पवन जयसवाल से यह जानने की कोशिश की जा रही है कि उसने इस रकम का क्या किया और इसे कहां खर्च किया. EOW अब घोटाले में फरार अजय राठौड़ की तलाश में जुटी है. इस हाई-प्रोफाइल आर्थिक अपराध में जुड़े सभी पात्रों और लेन-देन की परतें खुलने के साथ यह साफ हो रहा है कि कैसे संगठित तरीके से बैंकिंग प्रणाली का दुरुपयोग कर करोड़ों की रकम हड़पी गई.