मुंबई के गोरेगांव वेस्ट स्थित विवेक जूनियर कॉलेज में एक बार फिर बुर्का ड्रेस कोड विवाद गहरा गया है. कॉलेज प्रशासन ने क्लास में बुर्का पहनने पर रोक लगा रखी है, जबकि हिजाब की अनुमति दी गई है. यही बात कई छात्राओं और अभिभावकों को खटक रही है, जो इसे धार्मिक स्वतंत्रता और महिला अधिकारों से जोड़कर देख रहे हैं. विरोध में छात्राएं कॉलेज के बाहर भूख हड़ताल पर बैठी हैं. 

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कई छात्राओं ने कॉलेज से साफ कहा है कि अगर हिजाब की अनुमति है तो बुर्का पर प्रतिबंध का कोई तर्क नहीं बनता. उनका कहना है कि बुर्का उनका धार्मिक विश्वास और निजी चुनाव है, और कॉलेज में पढ़ाई के दौरान भी इसे पहनने की इजाजत मिलनी चाहिए. छात्राओं का कहना है कि पहनावे को लेकर नियम ऐसे होने चाहिए कि कोई भी छात्रा असहज या अलग-थलग महसूस न करे.

AIMIM नेता जाहनारा शेख ने उठाई आवाज

इस मुद्दे पर AIMIM पार्टी की मुंबई महिला विंग की उपाध्यक्ष और वकील जाहनारा शेख ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि लड़कियों को बुर्का पहनकर क्लास में जाने से रोकना सही नहीं है.

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उन्होंने कहा कि हिजाब की अनुमति है, लेकिन कई छात्राएं असहज महसूस कर रही हैं. उन्हें बुर्का पहनने की भी अनुमति मिलनी चाहिए. जब तक यह पढ़ाई या कॉलेज अनुशासन में बाधा न डाले, छात्राओं को अपने धार्मिक पहनावे का अधिकार मिलना चाहिए.

सुरक्षा और पहचान की दिक्कत- कॉलेज प्रशासन 

दूसरी ओर कॉलेज प्रशासन ने सुरक्षा और अनुशासन को मुख्य कारण बताते हुए बुर्का पर रोक लगाई है. प्रशासन के मुताबिक बुर्का से चेहरा पूरी तरह ढक जाता है, जिससे छात्राओं की पहचान करना मुश्किल हो जाता है और कैंपस में निगरानी पर असर पड़ता है.

प्रशासन का कहना है कि यह निर्णय धार्मिक भावनाओं के खिलाफ नहीं है, बल्कि कैंपस सुरक्षा के मानकों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.

इस फैसले से अभिभावकों में भी नाराजगी बढ़ी है. कई अभिभावकों ने कहा कि हिजाब और बुर्का दोनों पहनना धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा है, और किसी छात्रा को सिर्फ उसके पहनावे की वजह से परेशान या असहज महसूस नहीं होना चाहिए. अभिभावकों का मानना है कि कॉलेज को बातचीत के जरिए ऐसा समाधान निकालना चाहिए जिसमें सुरक्षा भी बनी रहे और धार्मिक अधिकार भी सुरक्षित रहें.