आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान पर AIMIM नेता वारिस पठान ने तीखा पलटवार किया है. उन्होंने आरएसएस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह वही संगठन है, जिसने 52 साल तक तिरंगे का अपमान किया और अपने नागपुर मुख्यालय पर कभी राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया.

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वारिस पठान ने कहा, “मोहन भागवत और ये आरएसएस... ये वही आरएसएस है जिसने 52 साल तक हमारे तिरंगे का अपमान किया. इनके नागपुर के हेडक्वार्टर के ऊपर अपने तिरंगे को कभी नहीं लहराया. इनके लिए हमारा तिरंगा तो अशुभ था, इनके लिए भगवा रंग ही शुभ था. अब ये इस तरह की बातें कर रहे हैं.”

उन्होंने आगे कहा कि आरएसएस पर कभी प्रतिबंध भी लगाया गया था. “इन पर तो बैन लग गया था. बैन हटाया गया था काफी शर्तों के साथ. आरएसएस पॉलिटिकल सियासत में हिस्सा नहीं लेंगे, आरएसएस दंगा-फसाद नहीं कराएंगे. ऐसी कई शर्तें रखी गई थीं.

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'गोडसे देश का पहला आतंकवादी'- वारिस पठान

AIMIM नेता यहीं नहीं रुके. उन्होंने आरएसएस के इतिहास पर भी सवाल उठाए और कहा कि इस संगठन से प्रेरित होकर ही नथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी. उन्होंने कहा कि आरएसएस से ही प्रभावित होकर जो देश का सबसे पहला आतंकवादी था, नथूराम गोडसे, उसने हमारे फादर ऑफ नेशन महात्मा गांधी का कत्ल किया था. हम तो गोडसे को देश का पहला आतंकवादी बोलते हैं.

RSS की फंडिंग पर उठाए सवाल

पठान ने आरएसएस की फंडिंग और उसके रजिस्ट्रेशन पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि अभी इस तरह का बताइए, रजिस्टर्ड ऑर्गनाइजेशन क्यों नहीं किया आपने? आरएसएस को फंडिंग कहां से आती है? ये भी सवाल लोग कर रहे हैं. इनका कथन और करनी में बहुत फर्क है. ये क्या बोल रहे हैं, क्या नहीं कर रहे, खुद ही समझ नहीं पा रहे हैं. वारिस पठान ने बीजेपी और आरएसएस को एक ही शाख के दो अंग बताया. उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरएसएस तो एक ही चीज हैं. एक ही शाख के दो हिस्से हैं. आजादी की लड़ाई में इनका क्या योगदान था, जरा पूछिए. कुछ भी नहीं. इनके लोग तो माफीनामे दे रहे थे, जबकि मुसलमानों ने अपनी जानें कुर्बान कीं, भारत को आजाद कराने में पूरा योगदान दिया. AIMIM नेता ने कहा कि आरएसएस का मकसद सिर्फ नफरत फैलाना है. उसके सिवाय इनका कुछ नहीं है.