MNS Raj Thackeray Babri Brick: बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान मनसे (MNS) नेता बाला नंदगांवकर कारसेवक बनकर गए थे. उस वक्त वह अपने साथ तोड़ी गई मस्जिद की ईंट लेकर आए थे. उन्होंने उस ईंट (बाबरी मस्जिद ईंट) को 32 साल तक अपने पास रखा था. मंदिर निर्माण के बाद उन्होंने प्रतिज्ञा की थी कि वह इसकी ईंट हिंदू हृदय सम्राट बाला साहब ठाकरे को देंगे. राम मंदिर तो बन गया लेकिन बाला साहब ठाकरे आज जीवित नहीं हैं. इसलिए, बाला नंदगांवकर ने कहा है कि उन्होंने राज ठाकरे को बाबरी ईंट उपहार में दी जो बाला साहेब के वैचारिक उत्तराधिकारी हैं.


32 साल तक सुरक्षित रखी गई बाबरी मस्जिद की ईंट
ABP माझा के मुताबिक, बाला नंदगांवकर उन शिवसैनिकों में से थे जो 6 दिसंबर 1992 को बाबरी की छत गिरने के समय महाराष्ट्र से गए थे. जब बाबरी गिराई गई तो उसमें से एक ईंट नंदगांवकर लेकर आए थे. वे दो ईंटें लेकर आये थे. एक उनके घर में है और ये एक ईंट है. ईंट कितनी मजबूत है इसका पता उसके वजन से लगाया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि मैं राम मंदिर निर्माण कार्य से एक ईंट लाना चाहता हूं.






क्या बोले राज ठाकरे?
राज ठाकरे ने सोशल मीडिया पर लिखा, 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में श्रीराम मंदिर में मूर्ति का प्राणप्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया गया था. सभी हिंदुओं का सपना पूरा हुआ. अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिए. बाला साहब और लाखों कारसेवकों की प्रबल इच्छा थी जो पूरी हुई. इन सबकी पृष्ठभूमि में पार्टी में मेरे वरिष्ठ सहयोगी श्री. बाला नंदगांवकर ने मुझे बाबरी मस्जिद की छत से एक ईंट उपहार में दी है, जिसे अयोध्या में कारसेवकों ने ध्वस्त कर दिया था. मुझे लगता है कि ये ईंट कई सदियों के बाद विदेशी आक्रांताओं को दिए गए जवाब का प्रतीक है. फिर भी लेकिन यह ईंट आज मेरे संग्रह में आई, अब मैं चाहता हूं कि जिन ईंटों से राम मंदिर खड़ा है उनमें से एक ईंट मुझे मिले. मुझे यकीन है कि श्री राम की कृपा से यह जल्द ही मेरे संग्रह में आ जाएगा.


क्या बोले मनसे नेता बाला नंदगांवकर?
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मनसे नेता बाला नंदगांवकर ने कहा, 'उस घटना को याद करते हुए केवल जय श्री राम के नारे ही सुनाई दे रहे थे.' 32 साल हो गये. राजसाहबों में हमें बालासाहब मिलते हैं. 22 जनवरी को राम मंदिर जनता के लिए खोला गया और 23 जनवरी को बाला साहेब का जन्मदिन है. मुझे नहीं पता कि उस वक्त क्या सुझाव दिया गया था, लेकिन मैं अपने साथ बाबरी ईंट लेकर आया था.' जब मैंने मझगांव में ऑफिस बनाया तो उस ऑफिस के नीचे एक ईंट रखी गई. अब वह दफ्तर यशवन्त जाधव के पास है, कोई बात नहीं, वह मेरे पुराने सहकर्मी हैं.


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