Manoj jarange Protest: मराठा आरक्षण को लेकर सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर सामने आई है. 16 फरवरी को राज्य सरकार महाराष्ट्र विधानसभा का विशेष सत्र बुलायेगी. मराठा आरक्षण को लेकर इस सत्र में प्रस्ताव आएगा. इससे पहले कैबिनेट की बैठक में OBC आयोग के सर्व रिपोर्ट को मंजूरी मिलने के बाद विधानसभा में इस पर राज्य सरकार कानून बनाएगी.


सात महीने में चौथी बार भूख हड़ताल पर बैठे शिव संगठन के नेता मनोज जारांगे-पाटिल ने सोमवार को चेतावनी दी कि अगर सरकार ने वादे के मुताबिक मराठा कोटा घोषित करने के ठोस कदम नहीं उठाया तो वह भविष्यवाणी नहीं कर सकते कि गुरुवार (15 फरवरी) के बाद क्या होगा. अपनी भूख हड़ताल के तीसरे दिन जारांगे-पाटिल ने दोहराया कि आंदोलन का नवीनतम दौर तब तक जारी रहेगा जब तक "सरकार के आश्वासन और आदेश लागू नहीं हो जाते और मराठों को सभी लाभ नहीं मिल जाते."


वह आज सुबह यहां अपने गांव अंतरावली-सरती में मीडियाकर्मियों से बातचीत कर रहे थे, जब उनके समर्थकों की भीड़ उनके आसपास जमा हो गई, कई लोग उनके (जरांगे-पाटिल) और अगस्त, 2023 से लड़े जा रहे मुद्दे पर चिंता व्यक्त कर रहे थे.


मनोज जरांगे की चेतावनी
आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे ने कुनबी मराठों के 'रक्त संबंधियों' से संबंधित मसौदा अधिसूचना को कानून में बदलने के लिए महाराष्ट्र विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन जारी रखने के अपने फैसले की पुष्टि की. जरांगे ने शनिवार को जालना जिले के अपने पैतृक गांव अंतरवाली सरती में अपना आंदोलन शुरू किया था.


मनोज जरांगे की ये है मांग
एक साल से भी कम समय में यह चौथी बार है जब वह मराठा समुदाय को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समूह के तहत शामिल करने की मांग को लेकर भूख हड़ताल कर रहे हैं. जरांगे (40) ने शनिवार को कहा था, “सरकार को दो दिन में राज्य विधानमंडल का एक विशेष सत्र बुलाना चाहिए और ‘ऋषि सोयरे’ (रक्त संबंधियों) के संबंध में कानून लाना चाहिए. सरकार को उन 57 लाख लोगों को (ओबीसी) जाति प्रमाणपत्र जारी करना चाहिए जिनके पास कुनबी होने का रिकॉर्ड है.''


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