मुंबई के स्पेशल NIA कोर्ट के मालेगांव केस में दिए गए डिटेल्ड ऑर्डर में  पूर्व ATS ऑफिसर महबूब मुजावर की गवाही का जिक्र है. इसमें उन्होंने दावा किया था कि उस वक्त उन पर एटीएस के वरिष्ठ अफसर ने यह दबाव बनाया कि RSS के प्रमुख मोहन भागवत को अरेस्ट किया जाए. मुजावर को इस केस में कोई दम नहीं मिला. इसीलिए उन्होंने अपने अफसर का ऑर्डर नहीं माना. इस वजह से मुजावर को एक फर्जी केस में एटीएस के अफसर ने फंसा दिया. 

पेज नंबर 1019 पर महबूब मुजावर की गवाही का जिक्र

पेज नंबर 1019 पर पूर्व ATS अधिकारी महबूब मुजावर की गवाही का जिक्र है. ऑर्डर में मुजावर के बयान को मेंशन करते हुए कहा गया, "एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर वर्तमान मामले में जांच अधिकारियों में से एक थे. वरिष्ठ एटीएस अधिकारियों ने उन्हें मोहन भागवत (आरएसएस प्रमुख) को हिरासत में लेकर गिरफ्तार करने के निर्देश दिए थे. जबकि, उनके अपने ही अधिकारी (महबूब मुजावर) ने ऐसा कोई अवैध आदेश मानने से इनकार कर दिया क्योंकि उन्हें मोहन भागवत की इस कथित अपराध में कोई भूमिका नहीं मिली. अतः महबूब मुजावर को एटीएस द्वारा एक झूठे मामले में फंसा दिया गया जो कि मजिस्ट्रेट, सोलापुर के समक्ष दायर किया गया."

कौन हैं महबूब मुजावर?

महबूब मुजावर उस टीम के सदस्य थे जो मालेगांव ब्लास्ट केस की जांच कर रही थी. 29 सितंबर 2008 में मालेगांव में हुए ब्लास्ट में छह लोगों की जान चली गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इस केस में गुरुवार (31 जुलाई) को NIA की स्पेशल कोर्ट ने फैसला दिया और सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया. आरोपियों में बीजेपी की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर का भी नाम था. 

मीडिया से पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर ने क्या कहा?

कोर्ट का फैसला आने के बाद मीडिया से बातचीत में 1 अगस्त को महबूब मुजावर ने कहा, "अब तुम जाकर उनको (मोहन भागवत) को उठाकर लाओ. तब एक भगवा आतंकवाद का कॉनसेप्ट निकलकर आया था. भगवा आतंकवाद ने काम पर ये तपास (जांच) चल रहा था. तपास जो करना चाहिए वो नहीं हुआ. इतने बड़े आदमी को लाने के लिए मेरे ऊपर जवाबदारी डाली गई थी. मैं नागपुर में बहुत दिनों तक रुका. मगर वो काम नहीं किया."

मैंने कोर्ट में सबूत दिया और निर्दोष छूटा- मुजावर

आपने मोहन भागवत को क्यों गिरफ्तार नहीं किया, इस सवाल के जवाब में मीडिया से मुजावर ने कहा, "वो झूठ काम है तो क्यों का सवाल ही नहीं आता. अगर मैं लाता तो मेरी हालत आज क्या होती? मैंने ये काम नहीं किया, इस वजह से मेरे ऊपर झूठा गुनाह दाखिल हो गया था. मुझे गिरफ्तार किया गया. अरेस्ट के बाद जेल में डाला गया. मेरे ऊपर चार्जशीट दाखिल हो गई. मैंने कोर्ट में सबूत दिया और निर्दोष छूटा."