साल 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम धमाके केस में 17 साल बाद मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने सभी 7 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. इनमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत बीजेपी से जुड़े नाम भी शामिल थे.
कोर्ट के फैसले के बाद अब इस मामले पर सियासी प्रतिक्रियाएं तेज हो गई हैं. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस पर बड़ा बयान दिया है.
आतंकवाद भगवा न कभी था, न है- देवेंद्र फडणवीस
सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, "आतंकवाद भगवा न कभी था, न है, न कभी रहेगा." बता दें कि आज कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए यह कहा था कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता.
क्यों हुए सभी आरोपी बरी?
मुंबई में NIA कोर्ट के विशेष न्यायाधीश ए के लाहोटी ने कहा कि अभियोजन पक्ष का केस मजबूत नहीं था. एक लाख से अधिक पन्नों के दस्तावेज, गवाहों के बयान और तकनीकी सबूत भी आरोपियों को दोषी सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं थे.
कोर्ट ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और न्याय सिर्फ धारणा या संदेह के आधार पर नहीं किया जा सकता. सभी आरोपियों को संदेह का लाभ मिला. यह भी साबित नहीं हुआ कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई बाइक साध्वी प्रज्ञा की थी या धमाका वास्तव में उसी बाइक से हुआ.
मालेगांव धमाके में 6 लोगों की हुई थी मौत
29 सितंबर 2008 को नासिक जिले के मालेगांव में एक मस्जिद के पास खड़ी बाइक में विस्फोट हुआ था, जिसमें 6 लोगों की मौत और 101 घायल हुए थे. जांच ATS ने शुरू की थी, जो बाद में एनआईए को सौंपी गई. अभियोजन के अनुसार, इस धमाके का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय में भय फैलाना और सांप्रदायिक तनाव बढ़ाना था. इस मामले में 7 आरोपियों के खिलाफ UAPA और IPC की धाराओं के तहत मुकदमा चला.