2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में सभी सात आरोपियों को एनआईए की अदालत ने बरी कर दिया. इसके बाद बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा के वकील JP मिश्र ने कहा कि कल (बुधवार, 30 जुलाई) देश के गृह मंत्री (अमित शाह) ने बोला कि हिन्दू आतंकवादी नहीं हो सकता और ये आज संयोग ही है कि आज कोर्ट ने भी ये फैसला किया.

उन्होंने कहा, ''ये संयोग मात्र ही है लेकिन ये साबित हो गया कि हिन्दू आतंकी नहीं हो सकता.'' बुधवार (30 जुलाई) को अमित शाह ने राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान कांग्रेस को घेरते हुए कहा था कि हिंदू कभी आतंकी नहीं हो सकता है, ये बात मैं गर्व से कहता हूं.

वहीं प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि आज भगवा की जीत हुई है, हिंदुत्व की जीत हुई है, और जो दोषी हैं उन्हें भगवान सजा देंगे. उन्होंने कहा कि मुझे 13 दिनों तक प्रताड़ित किया गया, मेरा जीवन बर्बाद कर दिया गया. मुझे 17 साल तक अपमानित किया गया. 

जज ने क्या कहा?

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के मामलों की सुनवाई के लिए नियुक्त स्पेशल जज एके लाहोटी ने कहा कि जांच में कई खामियों हैं. उन्होंने कहा कि आरोपी व्यक्ति संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं. शक आधार पर दोषी नहीं ठहरा सकते.

उन्होंने कहा, ''यह साबित नहीं हुआ है कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर पंजीकृत थी, जैसा कि अभियोजन पक्ष ने दावा किया था.''

कौन-कौन थे आरोपी?

इस बम विस्फोट के मामले के आरोपियों में ठाकुर, पुरोहित, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल थे. सभी पर यूएपीए और भारतीय दंड संहिता और शस्त्र अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आतंकवादी गतिविधि में शामिल होने का आरोप था.

  • महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास ब्लास्ट हुआ
  • एक मोटरसाइकिल में लगाए गए बम में ब्लास्ट हुआ
  • इस बम विस्फोट में 6 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए
  • एनआईए अदालत ने 31 जुलाई को सभी आरोपियों को बरी कर दिया
  • अदालत ने मृतकों के परिजनों को दो लाख देने के आदेश दिए