Maharashtra Monsoon Rain Impact On Crop: महाराष्ट्र में इस साल मॉनसून की भारी बारिश से जुलाई के तीसरे सप्ताह के अंत तक आठ लाख हेक्टेयर भूमि पर फसल को नुकसान पहुंचा है. कृषि विभाग के सूत्रों ने यह जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि हालांकि फसल का नुकसान बिखरा हुआ है और कुछ जिलों तक सीमित है, लेकिन लगातार बारिश के साथ इसके बढ़ने की संभावना है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने विदर्भ, मराठवाड़ा और उत्तरी महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में अगले सात दिनों तक भारी बारिश की भविष्यवाणी की है. पिछले सात दिनों से लगातार हो रही बारिश से राहत पाने वाले तटीय कोंकण में एक बार फिर से हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है. मुंबई, ठाणे और पालघर के लिए पूर्वानुमान समान है.


कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि "कुछ जिलों और तालुकाओं में बाढ़ आ गई है, कृषि क्षेत्र बुरी तरह बर्बाद हो गए हैं. विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्रों के कई हिस्सों में मिट्टी के कटाव की आशंका है.” इस साल खरीफ की बुवाई 152 लाख हेक्टेयर में होने की उम्मीद है. हालांकि जून में मॉनसून आया था, लेकिन बारिश लगातार नहीं हो रही थी. लंबे समय तक बारिश न होना बुवाई के लिए अनुकूल नहीं थी. नतीजतन, कृषि मंत्रालय ने किसानों को चेतावनी जारी की है कि जब तक उन्हें पर्याप्त बारिश न हो, तब तक बुवाई न करें.


इन इलाकों में पड़ा है खास असर


जुलाई की शुरुआती बारिश ने किसानों को खेतों में ले जाने में मदद की. लेकिन बुवाई के बाद हुई बारिश ने बाढ़ के साथ मिलकर फसलों को बर्बाद कर दिया. विदर्भ क्षेत्र में जहां किसान सोयाबीन और कपास की खेती करते हैं, बारिश से प्रभावित जिलों में भंडारा, गोंदिया, वर्धा, चंद्रपुर, गढ़चिरौली, नागपुर, अमरावती, यवतमाल और बुलढाणा शामिल हैं. मराठवाड़ा में नांदेड़, हिंगोली, लातूर और बीड सबसे ज्यादा बारिश से प्रभावित जिले हैं. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रशासन को नुकसान का पता लगाने और किसानों के मुआवजे का मूल्यांकन करने के लिए पंचनामा आयोजित करने का निर्देश दिया.


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कुल इतने नुकसान की आशंका


हालांकि, कृषि केंद्र में फील्ड अधिकारियों ने कहा कि “कुछ जिलों में, गांव से संपर्क टूट गया है. उन जगहों का दौरा करना मुश्किल हो रहा है. अगस्त के अंत या सितंबर की शुरुआत तक मानसून के फैलने की संभावना के साथ, फसल के नुकसान के तहत भूमि आठ लाख को पार करने की उम्मीद है. बकौल, द इंडियन एक्सप्रेस, किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में सक्षम बनाने के लिए जिला अधिकारियों को उन मामलों में अधिशेष बीज और उर्वरक का प्रावधान करने का निर्देश दिया गया है. वित्तीय संस्थानों से कहा गया है कि वे पात्र किसानों को वित्तीय बोझ से निपटने में सक्षम बनाने के लिए बिना देर किए फसल ऋण जारी करें. इससे पहले 2022-23 के लिए कुल फसल ऋण का अनुमान 64,000 करोड़ रुपये था.


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