अमेरिका की तर्ज पर अब महाराष्ट्र की जेलों में कैदियों की मानसिक जांच और पुनर्वास कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है. राज्य के गृह विभाग ने इस महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दी है. यह देश का पहला प्रोजेक्ट है, जिसके तहत कैदियों की मानसिक स्थिति और व्यवहारिक पैटर्न की व्यवस्थित जांच की जाएगी.
महाराष्ट्र की 60 जेलों में इस समय करीब 40 हजार कैदी हैं, जिनमें गंभीर अपराधों के आरोपी और अंडरट्रायल कैदी भी शामिल हैं. इन सभी को इस प्रोजेक्ट के दायरे में लाया जाएगा.
18 लाख रुपये का बजट मंजूरइस काम के लिए 10 डॉक्टर्स की विशेष टीम नियुक्त की जाएगी. डॉक्टर कैदियों की मानसिक जांच करेंगे और ज़रूरत पड़ने पर उनके लार के नमूने भी जांच के लिए लिए जाएंगे. इस प्रोजेक्ट को 10 साल तक चलाने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए सरकार ने 18 लाख रुपये का बजट मंजूर किया है.
अधिकारियों के अनुसार, अमेरिका में ऐसा ही प्रोजेक्ट पहले ही सफलतापूर्वक चलाया जा चुका है और उसके सकारात्मक नतीजे सामने आए थे. इसी मॉडल को अब महाराष्ट्र में अपनाया जा रहा है.
हर तीन महीने पर होगा मूल्यांकनगृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य कैदियों की मानसिकता समझना और उनका पुनर्वास करना है. आर्थर रोड, भायखला, कल्याण, तळोजा, लातूर, ठाणे, पुणे और नागपुर इन आठ बड़ी जेलों सहित राज्य की सभी जेलों में यह प्रोजेक्ट लागू किया जाएगा. जांच के नतीजों का हर तीन महीने पर मूल्यांकन किया जाएगा और रिपोर्ट पेश की जाएगी.
'अपराध करने वालों की मानसिक स्थिति सामान्य नहीं'इन रिपोर्ट्स का गहन अध्ययन कर आगे की कार्रवाई और सुधारात्मक कदम तय किए जाएंगे. विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रोजेक्ट जेल प्रशासन के लिए एक बड़ी पहल साबित हो सकता है, क्योंकि अपराध करने वाले कई कैदियों की मानसिक स्थिति सामान्य नहीं होती. उनकी सोच और व्यवहार में बदलाव लाकर समाज में दोबारा स्थापित करना ही इस योजना का मुख्य उद्देश्य है.