Mumbai News: बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने बुधवार को महाराष्ट्र (Maharashtra) सरकार के उस नियम को उचित करार देते हुए रद्द करने से इंकार कर दिया, जिसमें राज्य सरकार ने दुकानों और प्रतिष्ठानों के बोर्ड पर उनका नाम मराठी भाषा में अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करने का नियम बनाया है.


न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने इस मुद्दे पर 'फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स' की याचिका को खारिज कर दिया और उस पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया.


अदालत ने आदेश में कही यह बात
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि दुकानों पर उनके बोर्ड में किसी अन्य भाषा के इस्तेमाल पर कोई रोक नहीं है और नियम के अनुसार दुकान का नाम मराठी में प्रदर्शित होना अनिवार्य है.


याचिका में महाराष्ट्र दुकान व प्रतिष्ठान (रोजगार और सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 2017 में संशोधन को चुनौती दी गई थी, जिसके अनुसार सभी दुकानों और प्रतिष्ठानों के बोर्ड पर मराठी में अपने नाम प्रदर्शित करने होंगे. साथ ही नियमानुसार, मराठी में लिखे नाम के अक्षरों का आकार, दूसरी लिपि में लिखे अक्षरों के आकार से छोटा नहीं होना चाहिए. 


जनवरी में महाराष्ट्र कैबिनेट ने दी थी मंजूरी
बता दें इसी साल जनवरी में कैबिनेट ने कहा था कि 10 से कम कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों समेत सभी संस्थानों के लिए मराठी साइनबोर्ड अनिवार्य होंगे. राज्य सरकार ने नियम बनाया था कि सभी दुकानों पर मराठी में भी साइनबोर्ड होने चाहिए. कई जगहों पर नाम अंग्रेजी के बड़े अक्षरों में हुआ करता था लेकिन  मराठी में नाम छोटे अक्षरों में हुआ करते थे. 


महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले के मुताबिक साइनबोर्ड पर मराठी में नाम किसी भी अन्य भाषा जितना बड़ा होना चाहिए. कैबिनेट ने उस संशोधन को मंजूरी दे दी है जिसमें कहा गया है कि मराठी-देवनागरी लिपि के अक्षरों को अन्य (अंग्रेजी या अन्य) लिपियों के अक्षरों से छोटा नहीं रखा जा सकता है. अब छोटी दुकानों पर मराठी के साथ-साथ बड़ी दुकानों पर भी बोर्ड लगाने होंगे. 


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