महाराष्ट्र के मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने गुरुवार (28 अगस्त) को कहा कि सरकार मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे से बातचीत के लिए तैयार है. साथ ही उन्होंने विपक्षी दलों के गठबंधन महा विकास आघाडी (MVA) पर आरोप लगाया कि वह अपनी सरकार के दौरान मराठा आरक्षण को सुरक्षा करने में विफल रहा. मराठा आरक्षण से संबंधित कैबिनेट उप-समिति के प्रमुख और जल संसाधन मंत्री पाटिल ने शिरडी में पत्रकारों से कहा कि अगर जरांगे मुंबई जाने फैसला करते हैं तो वहां उनके साथ बातचीत होगी.

विखे पाटिल ने कहा, ''सरकार ने हमेशा सकारात्मक रुख अपनाया है. हम जरांगे के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन चूंकि वह अपने आंदोलन के लिए मुंबई जाने पर अड़े हैं, इसलिए हम उनसे वहीं बात करेंगे. शुक्रवार को उप-समिति के सदस्यों से परामर्श के बाद कोई निर्णय लिया जाएगा. अगर दोनों पक्ष समान रूप से सकारात्मक रुख अपनाएं तो समाधान जल्दी निकल सकता है.''

29 अगस्त से अनिश्चितकालीन अनशन करेंगे मनोज जरांगे!

अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कैटेगरी के तहत मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे जारांगे ने गुरुवार शाम तक मुंबई पहुंचकर 29 अगस्त (शुक्रवार) से आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन उपवास शुरू करने का संकल्प व्यक्त किया है. वह गुरुवार सुबह पुणे जिले में मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्मस्थली शिवनेरी किले पहुंचे. इससे पहले, उन्होंने दावा किया था कि विखे पाटिल ने उन्हें शिवनेरी में बातचीत के लिए आमंत्रित किया है.

मराठा समुदाय की मांगों के प्रति सरकार संवेदनशील-विखे पाटिल

हालांकि, मंत्री ने बुधवार को कहा था कि सरकार मराठा समुदाय की मांगों के प्रति संवेदनशील है, लेकिन जरांगे के साथ बैठक के बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है. विखे पाटिल ने गुरुवार को कहा, ''मनोज जरांगे से उनके सहयोगियों के माध्यम से संपर्क स्थापित किया गया था, लेकिन उन तक संदेश ठीक से नहीं पहुंचा, जिससे गलतफहमी पैदा हुई. यह जल्द ही स्पष्ट हो जाएगा.''

जरांगे ने CM फडणवीस को कहा था मराठा विरोधी

महाराष्ट्र के मंत्री ने आगे कहा कि अगर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर व्यक्तिगत हमले किए जाते रहे तो मराठा आरक्षण का मुद्दा हल नहीं होगा. जरांगे ने फडणवीस को 'हिंदू विरोधी' और 'मराठा विरोधी' कहा था. उन्होंने 2018 में फडणवीस के पिछले कार्यकाल के दौरान बनाए गए आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए जाने का हवाला देते हुए कहा कि एमवीए मराठा आरक्षण की रक्षा नहीं कर सका.

सुप्रीम कोर्ट ने पांच मई, 2021 को महाराष्ट्र में कॉलेज प्रवेश और नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि इस मामले में कुल आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन करने के लिए कोई असाधारण परिस्थितियां नहीं थीं. उस समय राज्य में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी (एमवीए) की सरकार थी.