Maharashtra MBBS Rural Service Bond: महाराष्ट्र (Maharashtra) में एमबीबीएस डिग्री के बाद ग्रामीण सेवा बांड में अब पेनाल्टी देकर बचने का रास्ता नहीं होगा. सरकारी मेडिकल कॉलेजों या निजी कॉलेजों में सरकारी आरक्षण सीटों पर प्रवेश लेने वाले सभी छात्रों को अनिवार्य रूप से अपना एक साल का ग्रामीण सेवा बांड भरना होगा, जिसे वे अब तक जुर्माना भरकर छोड़ सकते थे.


महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मंगलवार को एक सरकारी रिजोल्यूशन (GR) जारी करते हुए कहा कि यह निर्णय शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से एमबीबीएस में प्रवेश लेने वालों के लिए लागू होगा. यह ग्रामीण सेवा बांड, जिसे 'सामाजिक जिम्मेदारी सेवा' भी कहा जाता है, सभी एमबीबीएस छात्रों के लिए मौजूदा 12 महीने की अनिवार्य इंटर्नशिप के अतिरिक्त होगा जो उनके संबंधित मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में है. हालांकि, इसके बाद ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न अस्पतालों या स्वास्थ्य केंद्रों को एमबीबीएस छात्रों को आवंटित किया जाएगा जिनके लिए अनिवार्य ग्रामीण सेवा लागू होगी.


10 लाख रुपये देना होता था जुर्माना


सरकारी और नागरिक संचालित मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस छात्रों को डिग्री प्राप्त करने के बाद, एक वर्ष के लिए महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा करने के लिए एक बांड पर हस्ताक्षर करना होता है. ऐसा करने में विफल रहने वाले छात्रों को शैक्षणिक वर्ष 2004-05 से 2007-08 तक 5 लाख रुपये का जुर्माना देना होता था, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया गया. जीआर में कहा गया है कि सामाजिक उत्तरदायित्व सेवा को पूरा किए बिना पेनाल्टी का भुगतान कर सरकारी और नागरिक संस्थानों से एमबीबीएस शिक्षा पूरी करने का प्रावधान अब रद्द किया जा रहा है.


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ग्रामीण सेवा बांड एक जिम्मेदारी- रिजोल्यूशन


बता दें कि जैसा कि जीआर में बताया गया है, सरकार, सरकारी और नागरिक संचालित मेडिकल कॉलेजों में छात्रों की शिक्षा पर काफी पैसा खर्च करती है, जिसकी तुलना में इन संस्थानों में शुल्क बहुत कम है. यह खर्च जनता से एकत्रित टैक्स से आता है और ग्रामीण सेवा बांड मेडिकल छात्रों के लिए सामाजिक जिम्मेदारी का एक रूप है. इस रिजोल्यूशन में कहा गया है कि यह देखा गया है कि एमबीबीएस पूरा करने के बाद कई छात्र जुर्माना देकर ग्रामीण सेवा बांड को छोड़ देते हैं. हालांकि, कोविड-19 महामारी की पृष्ठभूमि में अतिरिक्त चिकित्सकों की आवश्यकता सामने आई है, जिसके बाद राज्य ग्रामीण-सेवा बांड को अनिवार्य बनाने पर विचार कर रहा था.


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