Maharashtra Malaria Cases: महाराष्ट्र (Maharashtra) में पिछले दो साल कोविड-19 (Covid-19) महामारी के दौरान मलेरिया (Malaria) के मामले दो गुने हो गए हैं. राज्य के स्टेट इकनोमिक सर्वे (State Economic Survey) के जरिये जारी आंकड़ो के मुताबिक साल 2021-22 में मलेरिया के अब तक 17 हजार 365 मामले सामने हैं, जबकि इससे 12 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है.


महाराष्ट्र और मुंबई में मलेरिया के यह आंकड़े
पिछले साल 2021 में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में मलेरिया के 5 हजार 193 मामले सामने आये हैं, इन सबके बीच सबसे सकारात्मक बात यह रही कि पिछले साल इससे किसी की मौत नहीं हुई. वहीं 2019 में मुंबई मलेरिया से 4 हजार 357 मामले लोग इससे ग्रस्त हुए, जबकि इसके अगले साल यानि 2020 में यह आंकड़ा पांच हजार पार हो गया और इससे एक मरीज की मौत हो गई है.


पूरे महाराष्ट्र में भी पिछले तीन सालों में मलेरिया के मरीजों की संख्या तेजी से इजाफा हुआ. जहां साल 2019-20 में मलेरया के राज्य में 9 हजार 491 मामले सामने आये और इससे 6 लोगों की मौत हो गई, साल 2020-21 में यह आंकड़ा 13 हजार 442 पर जा पहुंचा और मलेरिया से मरने होने वाली की मौतों की संख्या इससे पिछले साल की तुलना में दोगुनी यानि 13 हो गई. 2021-2022 में पूरे राज्य में अब तक मलेरिया के 17 हजार से अधिक मामले सामने आये हैं जबकि होने मौतों 12 तक पहुंच चुकी हैं. यह मौतें बीते सत्र में आये कुल मरीजों की तुलना में कम हैं.


 


 


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मलेरिया के बढ़ते मामलों को लेकर डॉक्टर और अधिकारीयों ने बताई यह बात
राज्य में पिछले दो सालों में मलेरिया के बढ़े मामलों के बारे में स्टेट सर्विलांस ऑफिसर डॉ. प्रदीप अवाटे ने बताया कि, "राज्य में मलेरिया के तेजी से बढ़ते मामलों के लिए स्थानीय कारक जैसे बारिश, जनसंख्या घनत्व जिम्मेदार हैं." उन्होंने आगे कहा कि, "राज्य में अभी मलेरिया के मामलों पर काबू पाया जा सकता है. 


बीएमसी के अधिकारियों ने कहा कि, साल 2010 में मलेरिया के पिछले प्रकोप के बाद से मुंबई में इन मामलों में काफी कमी आई है. अधिकारी ने आगे बताया कि, मलेरिया को प्रभावी रूप से समाप्त के लिए शहर के बड़े भूमि मालिकों से बात करके वहां पर कीटनाशक के छिड़काव, बारिश के पानी को जमा होने से रोकने जैसे महत्वपूर्ण उपायों के जरिये मरीजों की संख्या में कमी आई है. 


सार्वजनकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि, मुंबई जैसे शहर में मलेरिया स्थानिक है. शहर में कई सरकारी एजेंसियां पूरे साल कई बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं पर काम करती रहती हैं, जिससे वहां मलबा और पानी जमा होने का खतरा हमेशा बना रहता है. यह प्रदूषण मलेरिया पैदा करने वाले मच्छरों को बढ़ाने में मददगार होते हैं.    


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