नक्सलवाद को खत्म करने के मकसद से चल रहे अभियान में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है. महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में 11 हार्डकोर नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया है. सभी ने महाराष्ट्र की डीजीपी रश्मि शुक्ला के सामने हथियार डाल दिए. 

Continues below advertisement

महाराष्ट्र सरकार ने इन नक्सलियों की गिरफ्तारी के लिए कुल 82 लाख का इनाम घोषित किया था. इनका पता देने वालों को 82 लाख रुपये कैश दिए जाने का ऐलान किया गया था.

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में कौन-कौन शामिल?

प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) के 11 सीनियर और हार्डकोर कैडर ने महाराष्ट्र की पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. इनमें दो डिवीजनल कमेटी सदस्य, तीन प्लाटून पार्टी कमेटी सदस्य, दो एरिया कमेटी सदस्य और चार आम पार्टी सदस्य शामिल हैं. इन सभी पर कुल 82 लाख रुपये का इनाम घोषित था.

Continues below advertisement

खास बात यह रही कि इनमें से चार कैडर ने अपनी वर्दी और हथियारों के साथ सरेंडर किया. सरेंडर करने वालों में सबसे बड़ा नाम 57 साल के रमेश उर्फ भीमा उर्फ बाजू गुड्डी लेकामी का है, जो भामरागढ़ एरिया का डिवीजनल कमेटी सदस्य था. अन्य सदस्य छत्तीसगढ़ के सुकमा, बीजापुर, कांकेर और नारायणपुर जिलों के रहने वाले हैं. इनमें महिलाएं भी शामिल हैं. 

इस साल 783 नक्सलियों ने किया सरेंडर 

इस साल यह सबसे बड़ा सरेंडर नहीं है. लेकिन, इसका महत्व बहुत है. साल 2025 में अब तक गढ़चिरौली में 112 हथियारबंद माओवादी मुख्यधारा में लौट चुके हैं. सिर्फ इसी साल जनवरी में 11 और अक्टूबर में पोलित ब्यूरो सदस्य मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ भूपति उर्फ सोनू समेत 61 बड़े कैडर ने सरेंडर किया था. 

कुल मिलाकर 2005 से अब तक 783 सक्रिय माओवादी गढ़चिरौली पुलिस के सामने हथियार डाल चुके हैं.डीजीपी रश्मि शुक्ला दो दिन के दौरे पर गढ़चिरौली आई थीं. उन्होंने कहा कि माओवादी विचारधारा खोखली साबित हो चुकी है और आम आदिवासी उसकी हिंसा से तंग आ चुके हैं. यही वजह है कि बड़ी संख्या में कैडर सरेंडर कर रहे हैं. 

माओवादियों से पुलिस की अपील- मुख्यधारा से जुड़ें

उन्होंने बचे हुए माओवादियों से अपील की कि वे हथियार छोड़कर सम्मान की जिंदगी जिएं. महाराष्ट्र सरकार की सरेंडर और पुनर्वास नीति इनके लिए दरवाजा खोलती है.कार्यक्रम में डीजीपी ने सी-60 कमांडो और अधिकारियों को सम्मानित भी किया. इन्हीं जवानों ने लाहेरी जंगल में अक्टूबर में भूपति सहित 61 माओवादियों का सरेंडर करवाया था. डीजीपी ने उनकी बहादुरी और समर्पण की तारीफ की.इस मौके पर गढ़चिरौली पुलिस ने एक खास गाइडबुक भी जारी की, जिसका नाम है, ‘प्रोजेक्ट उड़ान - विकास की एक झलक.’ 

यह गाइडबुक दूरदराज के आदिवासी इलाकों में चल रही सरकारी योजनाओं की आसान जानकारी देती है. डीजीपी ने इसे लॉन्च करते हुए कहा कि अब पुलिस सिर्फ सुरक्षा नहीं, विकास का माध्यम भी बनेगी.कार्यक्रम में एडीजी (स्पेशल ऑपरेशंस) डॉ. छेरिंग दोरजे, डीआईजी अंकित गोयल और एसपी नीलोत्पल सहित कई बड़े अधिकारी मौजूद रहे. 

पुलिस का कहना है कि यह सफलता गढ़चिरौली पुलिस और सीआरपीएफ के संयुक्त अभियान का नतीजा है. माओवादी आंदोलन को अब तक का सबसे बड़ा झटका लगा है और आने वाले दिनों में और सरेंडर होने की उम्मीद है.