महाराष्ट्र की महायुति सरकार में कई ऐसे फैसले लिए गए हैं, जिन्हें कुछ ही समय में वापस लेना पड़ा. 6 महीने के अंदर एक या दो नहीं, बल्कि 7 ऐसे फैसले देवेंद्र फडणवीस सरकार की ओर से लिए गए, जिन्हें या तो विरोध के चलते या फिर असफल रिपोर्ट की वजह से वापस लिया गया. ऐसे में महायुति सरकार राजनीतिक एक्सपर्ट्स और विपक्ष के निशाने पर आ गई है. ये दावे किए जा रहे हैं कि फडणवीस सरकार बिना सोचे-समझे और बिना एक्सपर्ट की सलाह के खुद से ही फैसले लेती है.
आय और जाति के आधार पर आरक्षण, तीसरी भाषा के रूप में हिंदी, एग्जाम हॉल टिकट पर जाति लिखी होना और स्कूल के मिड-डे मील में मिठाई शामिल करना... ये सब ऐसे फैसले हैं जिन्हें सरकार ने घोषणा के कुछ दिन बाद ही वापस ले लिया. एक फैसला यह भी लिया गया था कि बच्चों के स्कूल बैग का वजन कम करने के लिए टेक्स्टबुक में ही खाली पन्ने जोड़ दिए जाएं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से 6 फैसलों को बच्चों के माता-पिता के तीखे विरोध के बाद वापस लिए गए. सेंट्रलाइज्ड यूनिफॉर्म पॉलिसी की खराब क्वॉलिटी औऱ देरी से यूनिफॉर्म दिए जाने की खूब आलोचना हुई. दूसरा मामला था अल्पसंख्यक ट्रस्ट द्वारा संचालित जूनियर कॉलेजों का, जिसमें सरकार ने आदेश दिया था कि यहां सोशल रिजर्वेशन लागू किया जाए. बॉम्बे हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप कर कॉलेजों को अंतरिम राहत दी थी.
सरकार के ये सात फैसले हुए रोल-बैक1. प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में 10 फीसदी EWS आरक्षण: सरकार ने यह फैसला 23 जुलाई को लिया था, जिसे एक हफ्ते बाद ही यानी 30 जुलाई को वापस ले लिया गया. 2. तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी: 16 अप्रैल को लिया गया यह निर्णय सरकार ने 29 जून को वापस ले लिया3. अल्पसंख्यक ट्रस्ट द्वारा संचालित कॉलेजों में FYJC प्रवेश के लिए आरक्षण: जून के पहले हफ्ते में लिया गया यह फैसला 23 जून को वापस ले लिया गया. 4. हाई स्कूल के एग्जाम हॉल टिकट पर जाति लिखी होना: सरकार ने साल 2024 के जून में यह ऐलान किया था, जिसे 28 जनवरी 2025 को वापस ले लिया गया. 5. सरकारी स्कूलों के मिड-डे मील में मिठाई: मई 2023 में लिया गया यह फैसला 2 अप्रैल 2025 को वापस ले लिया गया. 6. एक राज्य-एक यूनिफॉर्म: मई 2023 में ऐलान और 2 अप्रैल 2025 को फैसले की वापसी7. टेक्स्टबुक में खाली पन्ने: 8 मार्च 2023 को लिया गया फैसला, 28 जनवरी 2025 को लिया गया वापस
सात में से 6 फैसले शिक्षा विभाग केवापस लिए गए सात फैसलों मे से 6 शिक्षा विभाग के हैं, जिसकी जिम्मेदारी एकनाथ शिंदे के मंत्री दादा भुसे संभाल रहे हैं. दिसंबर 2024 में ही उन्होंने शिक्षा मंत्री पद की शपथ ली थी. उनका एक और फैसला था, प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में 10 फीसदी EWS आरक्षण का, जिसे वापस लिया गया.
फडणवीस सरकार को फैसले वापस क्यों लेने पड़े?इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने दावा किया कि जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियां आने की वजह से ये रोलबैक हुए हैं. वहीं, दादा भुसे ने फीडबैक के बाद किए गए कुछ 'एडजस्टमेंट' की ओर इशारा करते हुए उसे जिम्मेदार बताया.
महाराष्ट्र में नगर निगम चुनाव का असर?विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि सरकार के ये खराब फैसले महाराष्ट्र में निकाय चुनाव में लाभ उठाने के लिए लिए गए थे. खासकर वो फैसले जो आरक्षण से जुड़े थे और जिन्हें एक महीने के अंदर ही रद्द करना पड़ा था. हालांकि, सत्ता पक्ष ने ऐसे आरोपों को निराधार बताया है.